आष्टा में मानिसक यंत्रणा के शिकार मुंबई से लौटे तीन युवक
हरमीत ठाकरे, मुलताई
मुंबई से वापस आए तीन युवक इन दिनों मानसिक रूप से बुरी तरह प्रताड़ित है। उनके गांव वालों द्वारा उनका बहिष्कार कर उसको मानसिकता रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। इस कोरोना महामारी के दौर में मुंबई से वापस आना ही उनके लिए गले की हड्डी बना हुआ है। गांव वालों द्वारा उन तीनों युवकों के साथ इस तरह का व्यवहार किया जा रहा है जैसे वे कोई जघन्य गंभीर अपराध करके आए हो।
पूरा मामला मुलताई तहसील के ग्राम आष्टा का है। जहा पर मुंबई से 18 मई को दो स्पेशल गाड़ी करके लौटे 10 लोग, जिसमे 7 लोग गुजरमाल के है और 3 लोग आष्टा के रहने वाले है। आष्टा के तीनो युवक पिछले 10 दिन से गांव से दूर अलग बने अपने घर मे ही कोरेनटाइन है।
ग्राम आष्टा के निवासी कपिल देशमुख ने बताया कि जबसे वे लोग वापस आए है उनके साथ गांव वालों का व्यवहार ही बदल गया है, लोग हमारे साथ साथ हमारे परिवार वालो से भी दुर्व्यवहार कर रहे है। जबकि हम लोग मुंबई में पीवीसी का काम करते थे, लॉक डाउन के चलते बेरोजगार होने के कारण वापस गांव लौटना पड़ा। गांव पहुँचने पर मेरे साथ आए सुनील देशमुख और बुधराव देशमुख का भी मेडिकल टीम ने चेकअप कर हमे 14 दिन तक होम कोरेण्टाइन रहने को कहा था। हम पूरी तरह स्वस्थ है, किसी तरह से कोरोना का कोई लक्षण भी नही है। हम तीनो और हमारा परिवार मानसिक रुप से प्रताड़ित है।
कोरोना महामारी के इस दौर में जहा देश मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ले कर मोबाइल के कॉलर टोन पर हर जगह कहा जा रहा है "हमे कोरोना बीमारी से लड़ना है, बीमार से नही " वहीं दूसरी तरफ आम लोगो के मन मे कोरोना को लेकर दहशत कुछ इस कदर भर चुकी है कि वे अब बीमारी से तो छोड़ो बीमार से ही लड़ने लगे है। हद तो तब हो गयी जब व्यक्ति बीमार भी नही है बस मुंबई से लौट कर आया है। उनके प्रति गांव वालों का दुर्व्यवहार शोध का विषय हो सकता है ?
उपरोक्त मामले में जैसे ही पूरी जानकारी हमदर्द ग्रुप को लगी उन्होंने तत्काल मुलताई एसडीएम सी एल चनाप और प्रभात पट्टन नायब तहसीलदार याचिका परतेती के संज्ञान में पूरा मामला लाया गया।
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