पुलिस क्या है   एक कविता ...


पुलिस, पुलिस सुख-सुविधाओं का त्याग है , पुलिस अनुशासन का विभाग है।


पुलिस, पुलिस देश भक्ति व जनसेवा का नारा है, पुलिस अमानवता से पीड़ितों का सहारा है।
पुलिस, पुलिस नियम कानून की परिभाषा है, पुलिस अपराधों का गहन अध्ययन है जिज्ञासा है।
पुलिस, पुलिस अमन व शांति का सबूत है, पुलिस अपराधियों के डरावने सपने का भूत है।


पुलिस, पुलिस है तो देखो कितनी शांति है, पुलिस नहीं तो चाराें तरफ क्रांति है।
पुलिस, पुलिस जनता की सेवा के लिए त्योहार व परिवार छोड़ देती है,
और पुलिस की पत्नी करवा चौथ का व्रत फोटो देखकर तोड़ देती है।
पुलिस, पुलिस कभी ठंड में ठिठुरती तो कभी गर्मी में जल जाती है।
फिर भी उसे परिवार के लिए एक दिन की छुट्टी नहीं मिल पाती है।
पुलिस, पुलिस त्याग है तपस्या है साधना है।
पुलिस जनता रूपी देवता की करती सेवा और आराधना है।
जनता अक्सर ये क्याें भूल जाती है।
कि गोली तो पुलिस भी अपने सीने पर खाती है।
शहीद सिर्फ सीमा पर जवान नहीं होता,
सैंकड़ों की संख्या में पुलिस भी देश के अंदर जान गंवाती है।
लोग कहते है पुलिस कहा है। मैं कहता हूं पुलिस हर जगह है।
पुलिस, पुलिस सांप्रदायिक तनाव में है, पुलिस राजनीतिक चुनाव में है।
पुलिस जुलूस में, जलसे में झूलों में है। पुलिस कभी ईद तो कभी होली के मेलों में है।
पुलिस गली-गली, गांव-गांव, शहर-शहर है, पुलिस जनता की सेवा मे हाजिर आठों पहर है।
पुलिस के भी होते सपने हैं, उनमे भी होती संवेदनाएं हैं ,
बस लगाते जाते उनपर आरोप, कोई नहीं समझता उनकी वेदनाएं हैं।
जो न्योछावर है सदैव आपके लिए, उस पुलिस पर तुम अभिमान करो ,
मानो तो बस इतनी सी गुजारिश है मेरी, तुम पुलिस का अपमान नहीं सम्मान करो।
तुम पुलिस का अपमान नही सम्मान करो।



 


- शिवसेना प्रदेश उपाध्यक्ष पवन सोलंकी


Comments

Popular posts from this blog

हाईवे पर होता रहा मौत का ख़तरनाक तांडव, दरिंदों ने कार से बांधकर युवक को घसीटा

होटल कर्मचारी ने दिया ईमानदारी का परिचय, लोटाया पैसों और गहनों से भरा बैग

सज्जन वर्मा के बाद देवास से मनोज परमार का नाम पैनल में