नई शुरुआत / वो चिड़ियों का मिठा गुंजन ...
- नरेन्द्र मालवीय
वो चिड़ियों का मिठा गुंजन,
सुबह की हवा का स्पंदन,
बौराये पेड़ों का मस्ती मे झूमना,
सुर का यूं मचलना,
मेरे अलसाये मन को छेड़ गया,
कुछ कानों मे कह गया,
उतार फेक अतीत की चादर को,
ओड ले नव प्रभात को,
ओस की ये नन्ही बून्दे,
कर देगी तन- मन को तृप्त,
आशाओं के खुले आसमान मे,
उड़ चल तु क्षितिज तक,
अभिलाषाऔं का ये हरा मैदान,
कर गया यौवन का संचार,
निराशा के कोहरे को चीर,
जीतेगा मेरे मन का मीत,
स्वप्न सलोने दिखा गया,
मुझे वो यू भरमा गया,
पल्लवित कर कुसुम की क्यारी,
अंशुमान ने निद्रा त्यागी,
मीठी सी ढंग को लेकर आत्मसात,
चली करने नई शुरूआत।
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