कोरोना वायरस रोग एवं अग्निहोत्र यज्ञ से स्वास्थ्य विषयक लाभ

लेखक :- मनमोहन आर्य 

 

इन दिनों न केवल भारत अपितु विश्व भर में कोरोना वायरस वा कोविड-19 नाम का महामारी रोग फैला हुआ है। आज दिनांक 22-3-2020 की जानकारी के अनुसार इस समय 3,08,463 लोग इस वायरस व रोग से संक्रमित हैं। 13,069 संक्रमित लोग वा रोगी इस रोग से अपना जीवन खोकर मृत्यु का ग्रास बन चुके हैं।  प्रश्न उत्पन्न होता है कि यह कोरोना रोग और इस रोग को फैलाने वाला वायरस आया कहां से? इसका उत्तर यही है कि यह रोग चीन में माह जनवरी, 2020 में उत्पन्न हुआ। वहीं इस रोग का वायरस उत्पन्न हुआ जिसने वहां के 3,261 लोगों के जीवन ले लिये। चीन में कोरोना रोग से 81,054 लोग संक्रमित हुए हैं। यह भी चर्चा है कि चीन वैज्ञानिक अनुसंधान करता रहता है जिसमें वह अनेक प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों पर अनुसंधान कर उनका निर्माण करता है। इसका उद्देश्य विश्व के लोगों को डराना, उनसे अपनी उचित व अनुचित बातें मनवाना तथा युद्ध की स्थिति आने पर युद्ध में विजय प्राप्त करना होता है। चीन को इस बात की किंचित चिन्ता नहीं है कि इस प्रकार के अनुसंधानों तथा अस्त्र-शस्त्रों के निर्माण का परिणाम क्या होगा? इसे चिन्ता नहीं है कि उसके इस कृत्य से संसार व उसके अपने कितने लोग मरेंगे और यह एक प्रकार का घोर निकृष्टतम अमानवीय कार्य होगा। आज का विश्व मानवीयता से बहुत नीचे जा चुका है। विश्व के विश्लेषक चर्चा कर यह भी बता रहे हैं कि चीन किसी जैविक हथियार के निर्माण के लिये शोध कार्य कर रहा था। उसके इस कार्य में कहीं कुछ चूक हो जाने पर यह वायरस उत्पन्न हुआ और अनियंत्रित होकर वायुमण्डल के द्वारा चीन के कुछ लोगों में फैल गया। वहां इस वायरस के संक्रमण से शोध कार्य में लगे कुछ लोगों व उनके निकटतम सहयोगियों पर इसका प्रभाव हुआ और उन्हें रुग्ण करने के साथ उसने उनमें से अधिकांश लोगों की जीवन लीला समाप्त कर दी। कोरोना वायरस एक निर्जीव पदार्थ है। उसे ज्ञान नहीं है कि किसी निर्दोष व्यक्ति को इसका शिकार नहीं बनाना है। वह वायरस प्रकृति में घटने वाले नियमों के अनुसार छूत का रोग बन कर वायरस के सम्पर्क में आने वाले लोगों को रोग का शिकार बनाता है। इस प्रकार संक्रमित हुए लोगों का जीवन खतरे में पड़ जाता हैं। विश्व के तीन चैथाई देशों में यह रोग पहुंच चुका है। चीन तथा इटली में इसका प्रभाव सबसे अधिक है। इटली के लोगों ने आरम्भ में कुछ असावधानियां की जिससे वहां अब तक 4,825 लोग इस रोग से मृत्यु के ग्रास बने हैं। यह भी बताया जा रहा है कि इन मृतकों में 60 वर्ष की आयु से अधिक लोग अधिक थे। युवाओं में भी इस रोग का प्रभाव हो रहा है परन्तु यह युवाओं में वृद्धों की अपेक्षा कम होता है। 

 

इस रोग का ऐसा आतंक है कि सारा संसार इस रोग से पीड़ित होकर उन देशों के निवासियों का सामान्य जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। भारत में भी इस रोग के कुछ रोगी हैं। यह रोग उन भारतीयों से भारत पहुंचा है जो मुख्यतः चीन व इटली आदि देशों से भारत आये हैं। अमेरिका एक विकसित राष्ट्र है। वहां सभी प्रकार की चिकित्सा आदि की सुविधायें हैं परन्तु इस रोग ने अमेरिका को भी त्रस्त किया है। देश विदेश के लोग अपने कार्यालयों में न जा कर घर पर रहकर ही अपने दायित्वों का निर्वाह कर रहे हैं। यही स्थिति भारत में भी है। भारत सरकार ने ऐसे अनेक आपातकालीन उपाय किये हैं। इसका कारण यही है कि देश के लोग न तो स्वयं संक्रमित हों और न दूसरों को संक्रमित करें। सरकार को जैसे ही इस वायरस व संक्रमण रोग का पता चला, उसने सभी सावधानियां बरतनी आरम्भ कर दी थी जिससे हमारे देश में मृतकों की संख्या अन्य कुछ देशों से कम है जबकि हमारे देश की जनसंख्या चीन के बाद विश्व में सर्वाधिक है। देश में गरीबी व भुखमरी भी है फिर भी सरकार के उपायों से संक्रमण निर्बल व दुर्बल जनता तक नहीं पहुंच पाया। इसका प्रभाव प्रायः शहरों एवं महानगरों में अधिक हैं जहां हवाई अड्डे हैं और लोग जहां से विदेश अधिक आते जाते हैं। यह भी एक आश्चर्य है कि विज्ञान ने प्रायः सभी प्रकार के रोगों की ओषधियां बनाई हैं परन्तु इस वायरस का उपचार अभी तक किसी को पता नहीं है। आज रविवार दिनांक 22-3-2020 को इस रोग से देशवासियों को बचाने के लिये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जनता कफ्र्यू की अपील की है जिसको देश की जनता का भरपूर सहयोग मिल रहा है। इससे यह लाभ बताया जा रहा है कि लोग घर पर रहेंगे जिससे न वे संक्रमित होंगे न दूसरों को करेंगे। इसके साथ यह भी प्रचारित किया गया है कि कोरोना वायरस की आयु आठ से दस घंटे की ही होती है। कफ्र्यू प्रातः 7 से रात्रि 9 बजे तक है। इन चैदह घंटों में देश से रोग के अधिकांश वायरस व कीटाणु स्वतः नष्ट हो जायेंगे जिससे देश के लाखों व करोड़ों लोग संक्रमित होने बचेंगे। इसका अर्थ है कि देश में लाखों लोगों के जीवन बचेंगे। मोदी जी ने जो सुझाव दिया व निर्णय किया वह वस्तुतः प्रशंसनीय है। वह वास्तव में एक युगपुरुष हैं एवं वर्तमान समय के विश्व के प्रमुख नेता हंै जो मानवतावादी एवं परहित दृष्टिकोण एवं भावनाओं से युक्त हैं। अतः उनके कारण देश में अनेक बहुमूल्य जीवन बचे हैं व इस रोग की शेष अवधि में भी बचेंगे। 

 

सरकारी प्रचार तन्त्र पर यह भी बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस का कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। इसका उपचार करने वाली वैकसीन अभी बनी नहीं है। रोग के लक्षणों के अनुसार इन्फैक्शन दूर करने की ओषधियां दी जा रही हैं। कुछ लोगों को उनकी शारीरिक शक्ति, सामथ्र्य व इम्यूनिटी के अनुरूप लाभ हो रहा है। हमारे देश में प्राचीन काल से रोगों के उपचार के लिये आयुर्वेदीय चिकित्सा पद्धति प्रचलित है। इसके साथ ही हमारे देश में वेद के विधानों के अनुसार सृष्टि के आरम्भ से वायु, जल, वातावरण, पर्यावरण, मन, बुद्धि, आत्मा आदि की शुद्धि सहित रोगों के निवारण के लिये अग्निहोत्र वा देवयज्ञ करने का विधान है। वैदिक मान्यता है कि प्रत्येक शिक्षित व सुबुद्ध गृहस्थ व्यक्ति को अपने परिवार में प्रातः व सायं अग्निहोत्र देवयज्ञ अवश्य करना चाहिये। इस यज्ञ से बाह्य व आन्तिरिक शुद्धि सहित वायु, जल, वातावरण व शरीर के भीतर के अनेक हानिकारक सूक्ष्म कीटाणुओं व जीवाणुओं का नाश होता है। वैदिक धर्मी आर्यसमाज के अनुयायी इस वैदिक परम्परा का निर्वाह करते हैं। इससे परिवार में रोग नहीं होते और परिवार साध्य, असाध्य एवं गम्भीर प्रकृति के रोगों से बचा रहता है। यज्ञ करने वाले प्रायः सभी लोग स्वस्थ, बलवान, दीर्घायु एवं सुखी होते हैं। उनकी आध्यात्मिक, भौतिक एवं सामाजिक उन्नति और व्यक्तियों की तुलना में अधिक होती है। सभी संयम तथा अधिकतम स्वच्छता से युक्त जीवन व्यतीत करते हैं। ऐसा करने से रोग नहीं होते और यदि हो जाते हैं तो वह यज्ञ करने एवं साधारण उपचार से दूर किये जा सकते हंै। समय-समय पर अग्निहोत्र यज्ञ के कई चमत्कार भी देखे गये हैं। आर्यसमाज में मध्यप्रदेश के एक वैदिक विद्वान पं. वीरसेन वेदश्रमी जी हुए हैं। उन्होंने वृहद यज्ञ कराकर वायु व जल शुद्धि सहित दुर्भिक्ष पड़ने पर अनेक बार वर्षा भी कराई थी। उन्होंने जन्म से गूंगे, बहरे और हृदय आदि रोगों से ग्रस्त रोगियों को भी ठीक किया था। उनका लिखा ‘वैदिक सम्पदा’ एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। अन्य कुछ ग्रन्थों का प्रणयन भी उन्होंने किया था। 

 

यज्ञ में देशी गाय के शुद्ध घृत सहित देशी शक्कर, सूखे फलों तथा वनों में उपलब्ध स्वास्थ्यप्रद नाना प्रकार की ओषधियों से आहुतियां देने का विधान है। गोघृत व अन्य हव्य पदार्थ विष व रोगनाशक होते हैं। इनसे वायु मण्डल के रोगकारी कीटाणु, अनेक प्रकार के वायरस व वैक्टिरियां आदि नष्ट होते हैं। हमारा अनुमान है कि यज्ञ करने से यज्ञ-सामग्री की गुणवत्ता के अनुरुप कैरोना जैसे वायरस पर भी कुछ न कुछ प्रभाव पड़ता ही होगा। अतः सभी बन्धुओं को इस यज्ञानुष्ठान को न केवल कोरोना से बचने व उसे दूर करने अपितु अन्य सभी प्रकार के भौतिक व आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिये भी प्रतिदिन प्रातः व सायं करना चाहिये। इससे न केवल हमें अपितु हमारे सभी पड़ोसियों व देशवासियों को लाभ होगा। यह सभी जानते हैं कि यज्ञ में दग्ध यज्ञीय पदार्थ अत्यन्त सूक्ष्म व हल्के होकर एक सुगन्धित व रोगरहित वायु का निर्माण करते हैं। यह यज्ञीय वायु हमारे बाह्य वायुमण्डल में मिलकर देश-देशान्तर में फैल जाता है। यज्ञ करते हुए यदि कहीं किसी को कोरोना का संक्रमण हुआ होगा तो अनुमान है कि यज्ञीय प्रभाव से उसे लाभ हो सकता है। सभी कोरोना रोगियों को सरकारी व अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति के उपचारों का भी प्रयोग अवश्य ही करना चाहिये। इनके साथ यदि घरों में यज्ञ करेंगे तो निश्चय ही न केवल कोरोना अपितु सभी रोगों के रोगियों को लाभ होगा। यज्ञ शुभ व श्रेष्ठतम कर्म होने से इससे हमारे संचित कर्मों में भी वृद्धि होगी और इसका लाभ हमें इस जन्म व भावी जन्मों में सुखों के रूप में होगा। 

 

कोरोना रोग को स्वच्छ रहकर, लोगों से निकटता न बनाकर व दूरी रखकर, जल तथा घर के अन्दर व बाहर का वातावरण यज्ञ से शुद्ध व सुगन्धित बनाकर दूर या कम किया जा सकता है। यज्ञ में इन सब बातों का ध्यान रखा जाता है। हमारे देश में प्राचीन काल से परिवार के रोग एक थाली में एक साथ भोजन नहीं करते थे। वह हाथ मुंह धोकर घर में प्रवेश करते थे जिससे बाहर के किटाणु घर में प्रवेश न करें। वह जानते थे कि एक थाली में भोजन करने पर एक व्यक्ति के कुछ अज्ञात किटाणु दूसरे व्याक्ति के शरीर में प्रविष्ट होकर उसको हानि पहुंचा सकते हैं। यज्ञ में ऐसी सभी सावधानी बरती जाती हैं। यज्ञ करने से हमें जीवन में सदैव लाभ मिलता आया है, अब भी मिलेगा ओर भविष्य में भी यह स्वस्थ रहने की एक प्रभावशाली एवं महत्वपूर्ण जीवन पद्धति है। पिछली कई दशाब्दियों से सेकुलरिज्म के नाम पर अग्निहोत्र यज्ञ का सरकारी स्तर से प्रचार न होने तथा यज्ञ करने वालों को सम्मान न मिलने से जन-जन को स्वस्थ रखने वाली यह वैदिक विज्ञानसम्मत प्रक्रिया प्रचलित नहीं हो पाई। परमात्मा ने हमें अवसर दिया है कि हम यज्ञ में गाय का शुद्ध घृत व शुद्ध हवन सामग्री का प्रयोग करके इससे कोरोना वायरस पर भी विजय प्राप्त करें और अन्य सभी साध्य व असाध्य रोगों से बचे रहें। सरकार को कोरोना रोग पर यज्ञ के प्रभाव का वैज्ञानिक रीति से शोध व अध्ययन कराना चाहिये। हमारा अनुमान है इसके अवश्य उत्साहवर्धक परिणाम मिलेंगे। सभी लोग इस आपदा, महामारी व विषम स्थिति में अन्य सभी उपायों को करते हुए यज्ञ भी अवश्य करें और स्वस्थ रहें।


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