प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना एवं बाल संरक्षण अधिनियम अंतर्गत जिलास्तरीय मीडिया कार्यशाला सम्पन्न


 


देवास/ प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना एवं बाल संरक्षण अधिनियम अन्तर्गत जिलास्तरीय मीडिया कार्यशाला का आयोजन आज गुरूवार को एक निजी होटल में किया गया। मीडिया कार्यशाला में एडीजे एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण  शमरोज खान, उपसंचालक जनसम्पर्क  श्रवण कुमार सिंह, अध्यक्ष प्रेस क्लब देवास श्रीकांत उपाध्याय, जिला कार्यक्रम अधिकारी  रेलम बघेल, सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास लवनीत कोरी सहित मीडिया प्रतिनिधिगण उपस्थित थे।


मीडिया कार्यशाला में एडीजे एवं सचिव जिला विधिक सहायता शमरोज खान  ने बाल संरक्षण अधिनियम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस अधिनियम अन्तर्गत 18 वर्ष से कम आयु बालक/बालिकाओं के लैंगिक शोषण और दुरुपयोग को जघन्य अपराध माना है। किसी बालक का किसी विधि विरुद्ध लैंगिक क्रियाकलाप से उत्पीड़न या उत्प्ररेण, वेश्यावत्ति या अन्य विधि लैंगिक व्यवसाय में बालक का शोषण, अश्लील साहित्य के प्रायोजनों के लिए बालक का उपयोग, बालक का लैंगिक शोषण करने के लिए उकसाना, बहकाना, प्रयास करना, प्रलोभन देना एवं धमकी देना, लैंगिक आशय के साथ बालक/बालिका के निजी अंगों को छूना लैंगिक हमला माना जाएगा।


उन्होंने बताया कि बाल संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत बालक/बालिका की पहचान प्रकट नही कर सकते। मीडिया द्वारा बालक/बालिका की पहचान, नाम, पता, फोटो चित्र परिवार के ब्यौरे, विद्यालय, पड़ोस या अन्य कोई जानकारी जिससे बालक/बालिका की पहचान प्रकट होती है तो 6 माह से 1 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डनीय होगा। कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार से मीडिया, स्टूडियो, फोटो चित्रण से संबंधित कोई पूर्ण या अधिप्रमाणित सूचना रखे बिना रिपोर्ट नहीं करेगा, टीका-टिप्पणी नहीं करेगा, जिससे कि प्रतिष्ठा का हनन एवं गोपनीयता का उल्लघंन होता है।


उन्होंने बताया गया कि बाल संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत प्रत्येक जिले में बाल कल्याण समिति का गठन किया गया है।  किशोर न्याय अधिनियम अन्तर्गत अपराध को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। जघन्य अपराध के लिए 7 साल की सजा, घोर अपराध के लिए 3 से 7 साल की सजा तथा मामूली अपराध के लिए 3 साल की सजा का प्रावधान है।


 मीडिया कार्यशाला में जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग  रेलम बघेल ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के बारे में जानकारी दी। कार्यशाला में बताया गया कि यह योजना 01 जनवरी 2017 से मध्यप्रदेश के समस्त जिलों में लागू की गई है। योजना का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को प्रथम बच्चे के प्रसव के पूर्व एवं पश्चात् पर्याप्त आराम तथा गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं के स्वास्थ्य संबंधी व्यवहारों में सुधार लाना। योजना तहत प्रथम प्रसव वाली गर्भवती महिलाएं एवं शिशुवती माताएं लाभार्थी होंगी। योजना अंतर्गत ऐसी महिलाएं पात्र नही होंगी जिनको किसी अन्य योजना से प्रसव पूर्व एवं प्रसव के लिए लाभ मिल चुका है।


योजना का लाभ लेने के लिए क्या करें


गर्भवती होने के बाद हितग्राही महिला के लिए जरूरी है कि जितनी जल्दी हो सके, ऑगनवाड़ी केन्द्र में अपना पंजीयन करायें। बैंक या डाकघर में अपना बचत खाता खोलें एवं उसे अपने आधार नंबर से जोड़ें/लिंक करें। आँगनवाड़ी केन्द्र में आयोजित होने वाले मंगल दिवस (गोद भराई, अन्नप्राशन एवं सुपोषण दिवस) कार्यक्रमों में नियमित भागीदारी कर पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारियाँ प्राप्त करें। हितग्राही को निर्धारित शर्ते पूर्ण होने पर प्रथम किश्त हेतु फार्म 1-ए, द्वितीय किश्त हेतु फार्म 1-बी एवं तृतीय किश्त हेतु फार्म 1-सी में निर्धारित दस्तावेजो सहित नजदीकी आंगनवाड़ी केन्द्र में आवेदन जमा करना होगा।


गर्भपात / मृत जन्म के मामलों में योजना का क्रियान्वयन


 योजना के तहत एक लाभार्थी महिला केवल एक बार योजना अतंर्गत सशर्त मातृत्व लाभ प्राप्त करने हेतु पात्र होंगी। पात्र हितग्राही के गर्भपात अथवा बच्चे के मृत जन्म के मामले में, लाभार्थी किसी भी भविष्य की गर्भावस्था की स्थिति में शेष किश्तों का दावा करने हेतु पात्र होगी।


योजना के तहत पहली किश्त प्राप्त करने के बाद, अगर पात्र हितग्राही महिला को गर्भपात होता है, तो वह इस योजना की पात्रता मापदंड और शर्तों की पूर्ति के अधीन केवल भविष्य की गर्भावस्था की स्थिति में दूसरी और तीसरी किश्त प्राप्त करने का पात्र होगी। हितग्राही महिला को पहली और दूसरी किश्त प्राप्त करने के बाद गर्भपात हो या फिर मृत जन्म होता है, तो वह इस योजना की पात्रता मापदंड और शर्त की पूर्ति के अधीन केवल भविष्य की गर्भावस्था के मामले में केवल तीसरी किश्त प्राप्त करने के लिये पात्र होंगी। योजना के तहत पात्र हितग्राही जिन्होंने योजना अंतर्गत मातृत्व लाभ की सभी किश्तों को प्राप्त कर लिया है उनके शिशु की मृत्यु के मामले में वह भविष्य की गर्भावस्था में इस योजना के तहत दोबारा मातृत्व लाभ का दावा करने के पात्र नहीं होगी।


जिला कार्यक्रम अधिकारी रेलम बघेल ने बताया कि प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को प्रथम बच्चे के प्रसव के पूर्व एवं पश्चात् पर्याप्त आराम तथा गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं के स्वास्थ्य संबंधी व्यवहारों में सुधार लाना। जिले कुपोषण मुक्त करने के लिए विभाग घर-घर जाकर माता-पिता को पोषण आहार के संबंध में जानकारी दी जा रही है। कार्यशाला में सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास लवनीत कोरी ने प्रजेंटेशन के माध्यम से प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना के बारे में अवगत कराया। कार्यशाला में उपसंचालक जनसम्पर्क श्रवण कुमार सिंह ने आभार व्यक्त किया।


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