केपी कालेज देवास में विशेष व्याख्यान संपन्न
देवास। श्री कृष्णाजीराव पवार शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, देवास में इतिहास एंव हिन्दी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 'साहित्यिक हिन्दी पत्र - पत्रिकाएं एवं उनका ऐतिहासिक पक्ष' विषय पर विषेष व्याख्यान रखा गया। ख्यात् साहित्यकार एंव इतिहासविद् डॉ. जीवनसिंह ठाकुर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहें। प्राचार्य डॉ. एस.एल.वरे, डॉ. रश्मि ठाकुर विभागाध्यक्ष इतिहास, डॉ.आरती वाजपेयी प्राध्यापक इतिहास, डॉ.जरीना लोहावाला प्राध्यापक अर्थशास्त्र, डॉ. विद्या माहेश्वरी विभागाध्यक्ष वाणिज्य, डॉ. प्रतिमा रायकवार विभागाध्यक्ष चित्रकला, डॉ. राकेश कोटिया प्राध्यापक इतिहास की भी मंच पर गरिमामयी उपस्थिति रहीं। मंचासीन अतिथियों द्वारा वीणापाणि मॉ शारदे के समक्ष दीपदीपन एवं मंजु भाटी बी.ए. तृतीय वर्ष की मधुर सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का आरंभ हुआ। उपस्थित प्राध्यापक द्वारा अतिथि का पुष्पहार से स्वागत किया गया। अतिथि परिचय शादाब खान बी.ए.तृतीय वर्ष द्वारा प्रस्तुत किया गया। विषय विषेष की भूमिका डॉ. ममता झाला (विभागाध्यक्ष हिन्दी) ने प्रस्तुत की। डॉ. जीवनसिंह ठाकुर ने अपने वक्तव्य में इतिहास एवं हिन्दी साहित्य विषय के अन्योन्याश्रित संबंध को बताते हुए कहा कि समाज की पहचान साहित्य और इतिहास से बनती है। छात्र जीवन में पत्र - पत्रिकाओं की विशिष्ट भूमिका है। इनके माध्यम से विद्यार्थी वर्तमान पर निगाह रख मानवीय संवेदना और साहित्य के मर्म को जीवन्त रखता है। दुर्गादास राठौर का ओरंगजेब के वंशजों को मजहबी तालीम देना भारतीय संस्कृति की विशालता और उदारता का परिचायक है। अंग्रेजों के पत्रों से स्पष्ट होता हैं कि उनके भारत आगमन के समय भारत बहुत समृद्ध रहा। किन्तु बाद में इसी समृद्ध भारत को अकाल और भुखमरी का सामना करना पडा। प्राचीनकालीन इतिहास जहां चंदबरदायी, विद्यापति जैसे कवियों से वहीं मध्यकालीन इतिहास कबीर, सूरदास, तुलसी, नानक, रहीम के ज्ञान के आलोक से आलोकित रहा। आधुनिककालीन इतिहास भारतेन्दु हरिशचन्द्र, जयशंकर प्रसाद, प्रेमचंद जैसे अनेक साहित्यकारों एवं विवेकानंद, महात्मा गांधी, पंडित नेहरू जैसे अनेक इतिहास निर्माताओं से परिपूरित रहा जिन्होनें भारत देश की आजादी और विकास में महती भूमिका निभाई। अपने उदबोधन में आपने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से छात्रों से कहा कि देश के विकास और उत्थान की इबारत को साहित्य और इतिहास के अध्ययन से आप बखूबी जान और समझ सकते है। आज का छात्र साहित्य, इतिहास और विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं से ज्ञान अर्जन कर अपने उत्साह, उमंग और उम्मीद को कभी खत्म न होने देवे। अपने अर्जित ज्ञान और सकारात्मक उर्जा को देश के नवनिर्माण में लगावे। प्राचार्य डॉ. एस.एल.वरे ने भी निर्धारित विषय पर प्रकाश डाला साथ ही शिक्षक की महत्ता, ज्ञान तथा विद्यार्थी जीवन के अनुशासन से जुडी बाते भी साझा की और कहा कि विद्यार्थी अपने जीवन में स्वतंत्र अवश्य रहें पर स्वछन्द कभी न बने। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ममता झाला ने किया तथा आभार डॉ. रश्मि ठाकुर ने माना। व्याख्यान में विद्यार्थियों की अनुशासनबद्ध उपस्थिति रहीं।
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