36 वर्ष पुरानी मांग, आयोग का गठन औचित्यहीन, लिपिक कर्मचारियों से धोखा
देवास। राज्य सरकार द्वारा गठित किये गये कर्मचारी आयोग पर प्रदेश के लिपिको ने सवाल उठाये है। आरोप लगाया है कि वचन पत्र के परिपालन में सीधे शिक्षको के समान वेतनमान देने हेतु आदेश किये जाने थे, पर आयोग का गठन कर एक बार फिर अंधेरे में रखकर धोखा देने की कोशिश की गई है।
मप्र लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष एसएस राजपूत, सरंक्षक के के जोशी, विधि सलाहकार एम एल मिश्रा, महामंत्री आर एस माझी, कार्यकारी प्रांताध्यक्ष नरेन्द्रसिंह ठाकुर, उपाध्यक्ष परमानंद, प्रांतीय सचिव सुभाष शर्मा, जिलाध्यक्ष नरेन्द्रसिंह राजपूत, सत्यनारायण वर्मा, राजेन्द्र टांडी, के के शर्मा, नरेश गांगुुड़े, मोरेश्वर देशमुख, महेन्द्र जोशी, जिला महामंत्री श्री पाटीदार (स्वास्थ्य विभाग), कैलाश मालवीय, राजेन्द्रसिंह मकवाना, विनोद मुरेला, गोवर्धनसिंह माली, प्रदीप पांडे, श्रद्धा शर्मा, ममता नायडे ने बताया कि एक बाल लिपिको से छल करने की तैयारी की जा रही है। सरकार ने जो आयोग गठित किया है, वह किसी बड़े धोखे से कम नहीं है। वचन पत्र में शिक्षको के समान वेतनमान देने का वादा किया गया है। इस प्रावधान का पालन न करते हुए पुन: आयोग का गठन करना उचित नहीं है। इसके पूर्व प्रदेश सरकार ने राज्य वेतन आयोग का गठन कर छठवे वेतनमान मं व्याप्त विसंगतियो का परीक्षण करते हुए अग्रवाल समिति से प्रतिवेदन प्राप्त किया था। अग्रवाल समिति को लिपिको के चौधरी वेतनमान की सापेक्षता बहाल करने हेतु संघ द्वारा प्रतिवेदन सौंपा गया था। आरोप है कि चौधरी वेतनमान का परीक्षण कर प्रतिवेदन देने के लिये कोई आदेश नहीं है। उस दौरान कहा गया था कि इसमे विचार नहीं किया जा सकता। आरोप है कि लिपिक कर्मचारी विगत 36 वर्षो से कई मांगो को लेकर संघर्ष कर रहे है। विभिन्न विभागो में 1 अप्रैल 1981 से लिपिको की सापेक्षता बहाल करने, लागु करने, लिपिकीय संवर्ग के समस्त कर्मचारियो को एक हजार रूपये प्रतिमाह अंतरिम राहत देने, छत्तीसगढ़ राज्य के समान एक हजार रूपये कम्प्युटर भत्ता प्रदान करने, शासकीय सेवको को जुलाई 2009 से मंहगाई भत्ता और जनवरी 2019 का महंगाई भत्ता देने जैसी मांगे शामिल है। प्रदेश में लिखो की सरकारी नीति अपनाई जा रही है। लिपिको ने चेतावनी देते हुए मांग की है कि यदि सरकार ने शीघ्र ही वचनपत्र के अनुसार हमारी मांग का निराकरण नहीं किया तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की जायेगी।
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