कयामत तो कहीं से भी कंपाएगा
हैवानियत, हवस हावी, इंसानियत मर गई
दुष्कर्म, अपहरण, अबला, देह नोच ली गई
मानव बन दानव दरिंदे दुःख दर्द दे गए
आक्रोष आग बुद्धिजीवी बिट्टो जल गई
पाप से पर्यावरण दूषित तो होयगा
कयामत तो कहीं से भी कंपाएगा
कायनात कांप उठेगी, ज्वालाएं धधक उठेगी
गृह युद्ध हो जाएगा, विष्वयुद्ध छिड़ जाएगा
काल कीड़ा गाल कांटे, कोहराम मचाएगा
तड़फाए, रूलाए कई बे मौत मर जाएगा
कुदरत कभी भी कोहराम मचाएगा
कयामत तो कहीं से भी कंपाएगा
सिकवा जुबां न आए, फरियादी आवाज न लगाए
चुपके-चुपके रोए तो आंसु बाहर नही बहाएं
मर-मर मजबूरी में जिंदे को उपहार दिलाए
लूटी-मिटी छुटकी, बिट्टो बिन ढोल नचाए
दोषी को फांसी दौड़ा, दौड़ा के दे जाएगा
कयामत तो कहीं से भी कंपाएगा
असुरी, प्रहरी, अंतर्रात्मा, जघन्य झकझोड़ती
संताप में डूबे को शासन सियासत सिखाती
पेट, रोटी, आष्वासन, मगरमच्छ आंसू बहाती
अपराधी बुद्धिया, हथकड़ी, सलाखे समेटती
हत्या की आंधी शोले तो भड़काएगा
कयामत तो कहीं से भी कंपाएगा
क्रूर कुटिल कामी क्र्रोधी कांटे रास्ते बोते
तबाही के तंत्र, तरक्की के तार तोड़ते
शराब, कबाब, मांस से पेट कब्र बनाते
कड़वी बोली, भाषण से श्रद्धांजलि देते
मरघट धुरंधर दुष्कर्मी काया जलाएगा
कयामत तो कहीं से भी कंपाएगा
रणचंडी के रूद्रं रूप कल की क्रोध से
यमराज कांटे घसीटे महांकाल संघार से
टातंक उग्र नक्सली दुष्टो के प्रहार से
सूखा, आकाल, तुफान, भूंकप कहर से
कलयुगी कल की अवतार ही बचाएगा
कयामत तो कहीं से भी कंपाएगा
Comments
Post a Comment