करगर कानून का कान कौआ ले गया
कविता
हिंसा, आग, हैवानियत, हवस हावी हो गई
अपराधि बुद्धि आरोपी हथकड़ी छोटी पड़ गई
ईस्लामिक जमात रक्त रंजीष असमंजस हो गई
वाम पंथी पार्टी भी भ्रांति हवा बारूद बन गई
संवेदनषील, सहानुभूति स्वाहा हो गई है
कारगर कानून का कान कौआ ले गया है
मुद्दत से हुड़दंगी अज्ञात कौवे को तलासते रहे
अकल के अंधे आंखे खोल पुलिस पर पत्थर फेंक रहे
भांति-भांति भड़काउ, भ्रमित मंत्र से कान फूंकते रहे
भय, भ्रम, भीड़ भड़काने, घीनोनी घात हरकते करते रहे
आक्रामक उन्माद चिराग से देष बचाना है
कारगर कानून का कान कौआ ले गया है
निर्दोष तोड़फोड़ आरोपी जबरजस्ती कर
उपद्रव, भय, भ्रम, झूठ बदस्तूर जारी कर
हिंसा, आगजनी में यूनिवर्सिटी को मिलाकर
जाबांज जादूगर, जख्मी आदर्ष विसर्जन कर
विकास के मार्ग, नाष बदगुमान मिटाना है
कारगर कानून का कान कौआ ले गया है
उग्रवादी, आतंकवादी, वर्दी, छाती पे मारे लाती
रक्त, रंजीत की अभिव्यक्ति दामन पे दाग लगाती
चालाक हकारे भड़काते शांति में भ्रांति फैलाते
हंसी में हुड़दंग भीड़ में भगदड़ मचाते रूलाते
चल अचल संपत्ति नुकसानी की पूर्ति होना है
कारगर कानून का कान कौआ ले गया है
कपटी, दुष्टी, पापी, जख्मी, जिहाद फैलाकर
चैनलो में चर्चा कर, अखबारो में बोखलाकर
धमाके करके, भड़काते किलर खुंखार निडर
असूरी, प्रहारी, अग्निपथ, क्रंदन, सौदागर धार
हिंदुस्तान, पाकिस्तान पगलीस्तान बनाया है
कारगर कानून का कान कौआ ले गया है
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