जनसंपर्क विभाग द्वारा आयोजित संगोष्ठी कार्यक्रम
खरगोन:- मप्र सरकार के कार्यकाल का एक वर्ष पूर्ण होने पर जिला जनसंपर्क कार्यालय खरगोन द्वारा राधा वल्लभ मार्केट स्थित निजी होटल में संगोष्ठी आयोजित की गई। मीडिया के लिए आयोजित यह संगोष्ठी जन सरोकार और मीडिया विषय पर रखी गई। इस संगोष्ठी में इंदौर संभागीय जनसंपर्क कार्यालय के प्रभारी संयुक्त संचालक आरआर पटेल ने संगोष्ठी का उद्देश्य और इसकी उपयोगिता को लेकर स्वागत संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपना एक वर्ष पूर्ण किया है। इस एक वर्ष में कई महत्वपूर्ण कार्य हुए है। मीडिया खासकर समाचार पत्र और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जन सरोकार से जुड़ी खबरों को स्थान मिलना चाहिए। विभाग द्वारा यही प्रयास किए जाते है कि संचार प्रतिनिधि ऐसे मुद्दों पर निरंतर समाचार प्रकाशित करें। संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकारों में आशुतोष पुरोहित, सुनील शर्मा और मनोज रघुवंशी ने भी विषय पर अपना-अपना वक्तव्य रखा। संगोष्ठी में 70 से अधिक पत्रकार शामिल रहे। कार्यक्रम का आभार जनसंपर्क विभाग के सहायक संचालक पुष्पेंद्र वास्कले ने किया। वहीं कार्यक्रम का संचालन पत्रकार नीरज जोशी ने किया।
सच को सच बोलने का साहस पत्रकार के पास होना चाहिए
कवि व वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्रसिंह अकेला ने अपने वक्तव्य में कहा कि सच को सच बोलने का साहस पत्रकार में होना चाहिए। हर खबर में पत्रकार, रिपोर्टर या संवाददाता का किरदार नजर आना चाहिए। वर्तमान समय में जन सरोकार से जुड़े समाचारों की संख्या कम होने लगी है। उन्हें भी उचित स्थान मिलने का हक है। अकेला ने कहा कि सरकार द्वारा भू माफियाओं के खिलाफ जिस तरह से कार्यवाही की गई, वास्वत में कई लोगों को इससे राहत भी मिली है। इसके अलावा प्रशासन द्वारा मिलावट खोरों के खिलाफ भी तेजी से कार्यवाहियां की गई है, वरना मिलावट खोर तो धनियां में लकड़ी का बुरा मिलाकर हमें बेच रहे थे। ऐसी खबरें अखबारों में प्रकाशित हो और समाज में शब्दों के माध्यम से अपनी भूमिका निभाएं।
मोबाईल और मीडिया की जन सरोकार में महत्वपूर्ण भूमिका
इंदौर-उज्जैन के वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा ने अपने संबोधन में कहा कि यदि अखबारों में जन सरोकार से जुड़ी खबरों को उचित स्थान नहीं मिल पाए, तो मोबाईल के माध्यम से अपनी रचनात्मकता और जन सरोकार को लेकर खबरें प्रस्तुत की जा सकती है। वर्तमान में प्रचार भी दो हिस्सों में बंट गया है। ऐसे में महत्वपूर्ण है कि समाज के प्रति अपनी भूमिका पत्रकार मोबाईल के माध्यम से भी पूरी कर सकता है। आजकल कलम से ज्यादा मोबाईल का उपयोग हो गया है। किसी भी शहर की छवि बनाने व बिगाड़ने में मीडिया महत्वपूर्ण है। इसलिए मीडिया को इससे जुड़े जन सरोकार पर भी विचार करना आवश्यक है। सरकार इंटरनेट, फेसबुक व व्हाट्सअप पर नियंत्रण कर रही है, लेकिन मीडिया पर नहीं। वक्त आ गया है कि मीडिया फिर से समाज को जन सरोकार बताएं।
Comments
Post a Comment