मोबाइल दरों का बढ़ना
देश की ज्यादातर आबादी को था, जब भारत में टेलीकॉम दरें यह खबर बुरी ही लगेगी, मगर सबसे ज्यादा हुआ करती थीं, फिर टेलीकॉम सेवाओं की दरों को वह समय आया कि ये दरें दुनिया आखिरकार बढ़ना ही था। निजी में सबसे सस्ती हो गईं। वे लागत क्षेत्र की तकरीबन सभी टेलीकॉम से भी नीचे चली गईं। यह स्थिति कंपनियों ने यह घोषणा कर दी है लंबे समय तक नहीं चलने वाली कि वे अगले महीने से अपनी थी, सो इसे खत्म होना ही था। सेवाएं महंगी कर देंगी। एक दशक पहले तक इस सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत बाजार से जिस तरह की उम्मीदें संचार निगम लिमिटेड ऐसे फैसले बांधी जाती थीं, अब उसकी करने में देर करती रही है, गुंजाइश नहीं रह गई। एक इसलिए वह इस राह को कब अनुमान के अनुसार, देश में 1.2 अपनाएगी, यह कहा नहीं जा अरब से भी ज्यादा मोबाइल फोन सकता। जब बाजार में दरें कम कनेक्शन हैं, यानी औसतन देश करने की स्पर्द्धा थी, तब भी वह के हर वयस्क के पास कम से बहुत देर बाद इसमें कूदी थी, अब कम एक फोन तो है ही। जाहिर है भी अगर उसने यही देरी दिखाई, कि यह बाजार अब संपृक्त हो गया तो उसका घाटा बढ़ेगा और बंदी है, नए ग्राहक जुड़ने का की अटकलें तेजी होंगी। हालांकि सिलसिला अब बहुत धीमा होने घाटा तो निजी क्षेत्र की कंपनियों वाला है। ऐसे में कंपनियों के को भी हो रहा है। वोडाफोन सामने चारा यही था कि वे दरें आइडिया तो इसके चलते कम करके दूसरी कंपनियों के दिवालिया होने के कगार पर खड़ी ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को तोड़ने है। शुरू में उन्हें उम्मीद थी कि इस की कोशिश करें। पिछले दो-तीन मुश्किल समय में सरकारी मददसाल में यही हुआ और अब उनके दरवाजे पर पहुंचेगी। उसकी सीमा और नतीजे भी लेकिन सरकारी मदद की भी हमारे सामने हैं। वैसे इस घाटे का एक सीमा होती है, वह आती भी, एक कारण काफी महंगी दरों पर तो शायद इतनी न होती कि भारी- स्पेक्ट्रम खरीदना भी है, और भरकम घाटे से निजात मिल इसके लिए अक्सर सरकार को पाती। यही सवाल दूसरी तरफ भी भी कठघरे में खड़ा किया जाता है। है कि दरें बढ़ाकर क्या कंपनियां जाहिर है, यह सिर्फ टेलीकॉम अपने घाटे से उबर पाएंगी। चालू कंपनियों के लिए अपनी दरें घाटा खत्म या कम हो गया, तब बढ़ाने का ही नहीं, सरकार के भी संचित घाटा तो फिलहाल लिए अपनी संचार नीति पर खातों पर सवार रहेगा ही। आम पुनर्विचार का समय भी होना उपभोक्ताओं की जेब जरूर हल्की चाहिए। खासकर इसलिए भी कि होगी, लेकिन सच सिर्फ यही है कि जल्द ही 5-जी के स्पेक्ट्रम की दरों को बढ़ना ही था। एक समय बिक्री शुरू होनी है।
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