अरस्तु धुरंदर दादू को राजनीति मूर्ख समझती है
- रामसिंह राजपूत
मोबा. नं. 9977066249
शपथ समारोह को हंसी का हवाई जहाज समझते है
सत्ता सुंदरी के स्वयंवर में सुंदर सितारे सजाते है
घट-घट भ्रष्ट, पग-पग रिष्वत पथ भ्रष्ट होके
कु्रर, कुटील, कामी क्रोधी, कांटे ही कांटे बोके
रक्षक बन भक्षक, महंगाई में मस्त समस्त होके
मस्तिष्क में त्रासदी, अपराधि, बुद्धि, दुष्टी बनके
सलाखो वाले सियासी शासकीय सत्ता संभालते है
सत्ता सुंदरी के स्वयंवर में सुंदर सितारे सजाते है
गिरगट जैसे रंग, लोमड़ी के प्रसंग, विचार में उतारके
केकड़ो से कतरनी, चमगादढ़ो से चमचागिरी भी धारके
कबूतर से गुटूर गू, दो मुहे कोबरे के जहर निकालके
उल्लू से लक्ष्मी प्राप्त कर उंट से करवटें बदलकर
बुद्धि बल से बिरबल की बास पे खिचड़ी पकाते है
सत्ता सुंदरी के स्वयंवर में सुंदर सितारे सजाते है
बैठक में गठबंधन चोरो से छेड़ागाठन बंधाकर
लोकतंत्र की हत्याकर ताज हेतु मुमताज मारकर
पराये धन के परिधान धारकर कुरूक्षेत्र तैयारकर
धमकती सांसे, रूकती धड़कने, कीर्तिमान बनाकर
जन-गण-मन, वंदे मातरम भी दिखावे मंे गाते है
सत्ता सुंदरी के स्वयंवर में सुंदर सितारे सजाते है
अन्नदान, वस्त्रदान, स्वर्णदान से बड़ा है मतदान
बुद्धिदान लेकर मारे मजदूर, किसान और इंसान
ताज हेतु मारे मुमताज, शैतान, बेईमान, कदरदान
धनवान, बलवान, शक्मिान, निष्ठावान, बने बेईमान
फरिष्ते मारके कालाधन, काला कानून लाते है
सत्ता सुंदरी के स्वयंवर में सुंदर सितारे सजाते है
दगी का दूध धोखे का दही, फूंटी हांडी में जमाते है
छलावे की छाछ, गुलामी का घीं डालडा भी खाते है
आंख में आतंक, नाक में नक्सल, कांक कसाई होते है
जख्म पे नमक, घमण्ड के फंड, फूल पत्ते झाड़ते है
अरस्तु धुरंदर दादू को राजनियति मूर्ख समझते है
सत्ता सुंदरी के स्वयंवर में सुंदर सितारे सजाते है
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