लाखों-करोड़ों की दुकानों पर सैकड़ों की गरीबी ! आबकारी अधिनियमों का बना मजाक
ठेकेदार कर रहे नियमों के विरुध्द शराब का विज्ञापन प्रचार ! अधिकारियों का नही है खौफ
राहुल परमार, देवास। आबकारी विभाग कितने जिम्मेदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं उसका उदाहरण देवास में देखने को मिल रहा है। देवास जिले में वैसे तो ठेके बंटवारे को 07 माह से अधिक हो चुके हैं उक्त ठेकों के मिल जाने के बाद आबकारी अधिनियम के तहत अपने ठेके के कई नियमों को ध्यान में रखना होता है । देवास शहर को मिलाकर ग्रामीण अंचल में ठेकेदार आबकारी अधिनियमों के उल्लंघन किये जा रहे हैं। अधिनियम के तहत इन पर कार्यवाही संबंधित अधिकारी द्वारा तुरंत की जानी चाहिये लेकिन संभवतः जिम्मेदार इन ठेेकों को आर्थिक अथवा राजनीतिक दबाव के चलते कार्यवाही नही करते । यहां बात की जाए नियमों की तो लाखों-करोड़ों की कीमत पर ठेका प्राप्त होने के बाद भी ठेकेदारों से 10 चौड़ाई 4 फीट लंबाई का बैनर लगाना होता है। जिस पर नियमानुसार लायसेंस क्रं., ठेकेदार का नाम आदि विशेष रुप से अंकित होना चाहिये। जो संभवतः देवास जिले की किसी दुकान पर नियमानुसार नही है। कई दुकानों के बोर्ड पर तो ' शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है' चेतावनी तक अंकित नही है। शहर के औद्योगिक क्षेत्र के समीप बावड़िया में स्थित एक दुकान पर तो चारों ओर विज्ञापन प्रसारित हैं जो कि पिछले वर्षों के ठेकों के प्राप्ति होने पर रंग करवाएं गए थे। शहर से दुर स्थित भौंरासा में देवास सोनकच्छ रोड़ पर स्थित एक दुकान पर तो बड़े बैनरों पर शराब के विज्ञापन लगे हुए हैं। एक ओर तो आबकारी विभाग हर सप्ताह महुआ लहान जप्त कर प्रेस नोट के माध्यम से वाहवाही लुटते रहते हैं और दुसरी ओर संभवतः आर्थिक और राजनीतिक दबाव के चलते बड़े ठेकेदारों के विरुध्द कार्यवाही करने में असमर्थतता जगजाहिर करते हैं। शहर सहित जिले भर में ठेकेदार अपनी मर्जी के अनुसार बैखौफ कार्य करते हैं। सवाल यह है कि आखिर लाखों-करोड़ों के ठेके लेने वाले ठेकेदार सैकड़ों रुपयों की कीमत के बैनरों पर ध्यान क्यों नही दे पाते? संभवतः अधिनियम के तहत छद्म विज्ञापन भी किसी शराब व्यवसायी को नहीं करना चाहिये। ठेके प्राप्त करने में सभी नियमों को कठोरता से मनवाने वाले अधिकारी शराब के विज्ञापनों के मामले में जिम्मेदारी नही निभा पा रहे हैं ?
आगे की सीरीज में पढ़िये ......
कैसे पता कर सकते हैं शराब वैध या अवैध ?
अवैध शराब के वैध व्यापारियों को कौन दे रहा है संरक्षण ?
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