सरकार द्वारा सूखे मेवे पर मंडी शुल्क लगाए जाने के प्रस्ताव के खिलाफ किराना व्यापारियों ने दिया ज्ञापन


देवास। अभी व्यापारी जीएसटी और नोट बंदी की परेशानियों से पूरी तरह मुक्त भी नहीं हुए हैं कि अब मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार प्रदेश के किराना व्यापारियों पर एक नया मंडी शुल्क थोपने की तैयारी में है। इसके विरोध में किराना व्यापारी एसो. ने तहसील कार्यालय पहुंचकर मप्र किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के प्रमुख सचिव के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि मप्र सरकार सभी सूखे मेवे जैसे बादाम, खारक, पिंड खजूर, अखरोट, किशमिश, पिस्ता, अंजीर, चिलगोजे, जरदालु आदि पर 1.5 प्रतिशत मंडी शुल्क लगाने का प्रस्ताव प्रस्तावित किया है। उपरोक्त सभी 16 प्रकार के सूखे मेवे में से अधिकांश सूखा मेवा थोक किराना व्यापारी विदेशो से आयात करते हैं। क्योंकि हिंदुस्तान में उसका उत्पादन न के बराबर होता है। वहीं उक्त सूखा मेवा कृषि उपज की श्रेणी में भी नहीं आता है। अधिकांश सूखे मेवे मप्र तो क्या भारत वर्ष में भी कही भी कृषि उपज की श्रेणी में नहीं है। उक्त विदेशी उपज पर मध्यप्रदेश में मंडी शुल्क प्रस्तावित करना व्यापारियों के साथ-साथ उन उपभोक्ताओं के साथ भी सरकार का अन्याय होगा जो इन ड्रायफूट का सेवन करते हैं। वही हिंदुस्तान के किसी अन्य प्रांत में ड्राय फूट्स पर किसी प्रकार का कोई मंडी शुल्क नही है। व्यापारियो का कहना है की अभी व्यापारी भारत सरकार द्वारा लगाए गए जीएसटी की जटिलताओं, समस्याओं से मुक्त भी नही हुए हैं कि मप्र सरकार हम व्यापारियों को एक बार फिर नया मंडी शुल्क लगाकर परेशान करने की पूरी तैयारी में है। व्यापारियों ने मांग की है कि यह प्रस्तावित कर व्यापारियों पर न थोपा जाए और अगर व्यापारियों पर सरकार नया कर थोपती है तो मप्र के समस्त किराना व्यापारी सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।


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