राग-द्वेष एवं रोग-दोष को हटाने की विराट शक्ति है इस ग्रंथ में -सुधर्मगुणा श्रीजी
कल्पसूत्र का हर शब्द मंत्र है, तंत्र है, यंत्र है
माणिभद्र मण्डल निशक्त समाजजनों के घर आज भगवान ले जाकर दर्शन करवाएगा
30 अगस्त को मनाया जावेगा महावीर जन्म वाचन समारोह
देवास। पर्यूषण पर्व के अंतर्गत आज 30 अगस्त को माणिभद्र मण्डल द्वारा समाज के निशक्तजनों के घर पर भगवान को ले जाकर दर्शन एवं पूजन करवाने का रचनात्मक कार्य किया जाएगा। साथ ही माणिभद्र मण्डल ने प्रण लिया कि प्रतिवर्ष पर्यूषण के दौरान यह पुण्य आयोजन किया जाएगा।
हिंदु धर्म में जो महत्व गीता एवं रामायण का है, इस्लाम धर्म में जो महत्ता कुरान की है, ईसाई जगत में जो इज्जत बाईबल एवं सिक्ख समुदाय में जो गौरव गुरू ग्रंथ साहिब का है। वहीं महत्व, मान सम्मान एवं गौरव जैन धर्म में महानग्रंथ कल्पसूत्र का है। वर्तमान कलयुग एवं विषमकाल में परमात्मा द्वारा बताया गया ज्ञान ही जीवन की शुद्धि, विशुद्धि एवं परमशुद्धि का आधार बन सकता है। कल्पसूत्र में इस संसार का समग्र ज्ञान, विज्ञान एवं निदान समाहित है। कल्प याने आचार है। साधु संतो एवं संसारी प्राणी के आचरण का संपूर्ण मार्गदर्शन इस ग्रंथ में समाहित है। इसी आचार के अनुरूप हमारे विचार बनते है। विचार एवं आचार दोनो परस्पर सापेक्ष गुण है। कल्पसूत्र ऐसी आलौकिक औषधि एवं रामबाण रसायन है जिसमें जीवन के राग-द्वेष एवं तन के रोग-दोष को नेस्त नाबूत करने की असीम शक्ति समाहित है।
श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ मंदिर पर कल्प सूत्र गं्रथ की विस्तृत विवेचना करते हुए साध्वी जी सुधर्मगुणा श्रीजी ने कहा कि कल्पसूत्र ग्रंथ की रचना आचार्य श्री भद्रबाहु स्वामी ने की एवं इसकी विषद व्याख्या श्री विनय विजयजी ने की। जिसने भी पूर्ण श्रद्धा, तन्मयता एवं एकाग्रता से जीवन में 21 बार इस गं्रथ का श्रवण कर लिया उसका सातवे भव में मोक्ष निश्चित हो जाता है। महागं्रथ का हर एक शब्द मंत्र है, तंत्र है, यंत्र है। श्री कल्पसूत्र की कई अनोखी बातो की तरफ ले जाते हुए आप ने कहा महाग्रंथ में उल्लेख है- सहधर्मी, रूपवान, निरोगी, अच्छे स्वप्नो का दर्शन, नीति में रूचि तथा कविता रचने का जिसको शौक है, वह स्वर्ग से आया है, स्वर्ग में जाएगा। दंभ से दूर, दया-दान, दमन में खुशी, दक्ष व सरल मनुष्य में से आया है पुन: मनुष्य बनेगा। कपट, लोभ, आलसी तथा ज्यादा खाने वाला पशु में से आया है, पशु में जाएगा। अति कामी, द्वेषी, दुर्वचनी नरक से आया है, पुनरू नरक में जाएगा। कल्पसूत्र सभी शास्त्रो में सिरमोर है। साधु के दस आचारो का वर्णन, भगवान महावीर स्वामी के पूर्व भवो का संपूर्ण विवरण इसमें समाहित है।
प्रवक्ता विजय जैन ने बताया कि दोपहर में नवपद पूजन हुआ जिसका लाभ मांगीलाल छगनीराम जैन परिवार ने प्राप्त किया। कल्पसूत्र स्थापित करने का लाभ जमनालाल भेरूलाल जैन परिवार ने प्राप्त किया। रात्रि को महाआरती के पश्चात भक्ति भावना के विशिष्ट आयोजन हुए।
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