प्रशासनिक निष्क्रियता एंव राजनैतिक मौन लील रहा उज्जैन रोड वासियों का जीवन

ईवीएम गोडाउन निर्माण के दौरान रजिस्ट्रियों को सर्वे नम्बर के फेर में उलझाकर प्रशासन की सुस्ती एवं राजनेताओं का मौन एक एक कर उज्जैन रोड आनंद नगर के वृद्धों को तनाव देकर मृत्यु के मुंह में धकेल रहा है। मात्र छह माह में 18 मकानों में से दो मकानो के बुजुर्ग असमय ही काल का ग्रास बन गए। सीएम हेल्प लाईन हो या जिलाधीश से निवेदन या राजनेताओं का दरबार हो या फिर पार्षदों के आंगन, कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। बेचारगी और बेबसी के आलम में आंनद नगर ने अपने एक औैर वरिष्ठ को खो दिया। वरिष्ठ और महिलाओं पर अत्याचार करने वाले कठोर हृदयी प्रशासनिक अधिकारियों को राजनेताओं के मौन की सहमती पूरे आनंद नगर की नींद हराम कर रही है और न्याय की आस में आनंदनगर वासी दर दर निवेदन कर अपने हाल पर रो रहे हैं। मुख्यमंत्री से लेकर जिलाधीश का मौैन शहर को मौत के आगोश में छोडकर वाहवाही बटोरने में लगे हैं। बेबस नागरिक अन्य नागरिक बंधुओं से राय मशवरा कर समय बिता रहे हैं। पर न तो न्याय मिला और न ही आस टूटी है, बस वक्त की नदी में बहने की नियती है मानकर जी रहे हैं। उम्मीद है आततायियों के दिल पसीजेंगे।
भवदीय 


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