शा.महारानी चिमनाबाई क.उ.मा.वि. देवास में गुरूपूर्णिमा पर्व मनाया
देवास। भारत भूमि देवताओं की भूमि है। भारत भूमि ईश्वर की भूमि है। ईश्वर को भी मानव अवतार में गुरू की आवश्यकता होती है। एक शिक्षक हमेें पेट भरने लायक बनाता है किं तु एक गुरू हमें जीने लायक बनाता है। शिक्षा हमें सद्गुणों का पाठ पढ़ाती है किंतु गुरू हमें सद्गुणों को आचरण में लाने की प्रेरणा देते हैं। गुरू एक कल्पवृक्ष के समान होता है। सच्चे मन से की गर्ई गुरूभक्ति कभी निष्फल नहीं होती है। गुरू कृपा से मनुष्य का जीवन सार्थक हो जाता है। यदि हम विवेकानंद बनने का प्रयास करें तो कोई रामकृष्ण परमहंस हमें अवश्य ही मिलेंगे। गुरू के प्रति समर्पण ही शिष्य की कसौटी है। उक्त विचार वरिष्ठ साहित्यकार एवं राष्ट्रीय कवि देवकृष्ण व्यास ने शा.महारानी चिमनाबाई क.उ.मा.वि. देवास में गुरू पूर्णिमा पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में कहे। आपने कहा कि गुरू जीवन की पाठशाला है, जहां हम निरंतर उनसे सीखते हैं। इस अवसर पर प्राचार्य एफ .बी.मानेकर ने बताया कि गुरू और शिष्य का संबंध सबसेे पावन होता है। गुरू की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता है। गुरू बुराई का जवाब भलाई से देना सिखाते हैं। छात्रा दीपिका गेहलोत द्वारा गुरूभक्ति पर एक प्रेरक गीत की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम की भूमिका जाग्रति मुकाती ने प्रस्तुत की । संचालन छात्रा तेजेश्वरी प्रजापति एवं गायत्री पवार ने किया कार्यक्रम के संयोजक प्रसून पंड्या थे। आभार प्रात:पारी प्रभारी आदि पठान ने माना। इस अवसर पर विद्यालय परिवार की ओर से अनुराधा तिवारी, किरण खींची, डॉ. विनिता शर्मा, रश्मि दुबे, राखी धाडी, नीलम पटेरिया, सीमा कानूनगो, एकता श्रीवास्तव, शुभा सोनी, सविता पंवार, ओ.पी. कौशल, मनोजर जाधव, बंशीलाल केशवरे और बाबूलाल भाटी उपस्थित थे।
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