प्रसन्नसागरजी को नमन कर. जन्म देने वाली मां ने कहा- मैं अब मां नहीं भक्त हूं


देवास/सोनकच्छ । मानव सेवा स्थली पुष्पगिरि तीर्थ पर चल रहे मुनिश्री 108 प्रसन्नसागर जी महाराज के अंतर्मना स्वर्णिम जन्म जयंती महोत्सव में मंगलवार को अलग ही नजारा देखने को मिला। यहां प्रसन्नसागरजी को जन्म देने वाली मां शोभादेवी भी उनके दर्शन करने पहुंची। भास्कर से चर्चा में मां शोभादेवी ने कहा मां-बेटे का संबंध तब तक था, जब वे घर में खेलकूद रहे थे। जिस दिन उन्होंने घर छोड़ा और संन्यास लिया, उस दिन से बेटे का संबंध भी खत्म हो गया। उनका परोपकारी साधु का जीवन शुरू हो गया। मैं अब उनकी मां नहीं, भक्त हूं। मैं गदगद हूं, आनंदित हूं कि मेरी कोख से जन्म लेने के बाद आज वे कितनी ऊंचाइयों को छूकर समाज व देशसेवा कर रहे हैं। लोगों को अहिंसा व त्याग का संदेश दे रहे हैं। यह तो न जाने कितने जन्मों की पुण्याई होगी कि प्रसन्नसागरजी ने मेरी कोख से जन्म लिया है। जिसे जन्म मैंने दिया, लेकिन आचार्यश्री भगवन पुष्पदंत सागरजी ने उन्हें पहचान लिया व संत बनाकर खड़ा कर दिया इतना ही नहीं, उन्होंने तराशकर तपाचार्य की पदवी से विभूषित किया। आ ज मैंने अपने पुत्र को नमन नहीं किया, मैंने उनके अंदर के त्याग और तपस्या को नमन किया है


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