स्त्री धर्म सर्वश्रेष्ठ है, पति सेवा से चित्त शुद्धि होती है और चित्त शुुद्धि से परमात्मा की प्राप्ति - रक्षा सरस्वती
देवास। सेवा का पर्याय नारी है जिसमें धर्म एवं संस्कृति को बचाने की शक्ति है। वो बेटी का धर्म , पत्नी का धर्म, माँ का धर्म का पालन करते हुए घर को स्वर्ग बनाती है। पति को ईश्वर तुल्य मानकर, सेवा करना, संतान को जन्म देकर उसे व्यवहारिक शिक्षा के साथ धर्म एवं संस्कृति से पोषित करती है। स्त्री धर्म सर्वश्रेष्ठ है। पतिव्रता पत्नी अपने पति की सेवा से चित्त को शुद्ध करती है जिसका चित्त शुद्ध होता है उसे ही परमात्मा की प्राप्ति होती है, संसार में जो सुखी दिखाई दे जहां धर्म एवं संस्कृति के पालन के साथ आध्यात्म का ज्ञान परिजन में दिखाई देता है समझ लेना श्रेष्ठता के साथ स्त्री धर्म का पालन हो रहा है। यह आध्यात्मिक व्याख्यान जवाहर नगर में हो रही श्रीमद भागवत में भागवत रत्न रक्षा सरस्वती ने व्यक्त करते हुए भागवत प्रसंग के महारास का चित्रण किया। आपने कहा कि श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ महारास किया । इस रास दर्शन के लिये भगवान शंकर को भी गोपी बनना पड़ा। श्री कृष्ण की रास लीला दर्शन वही कर सकता है जिसमें बृज की गोपियों की तरह ईश्वरीय आसक्ति के भाव होते हैं। उपासना का अर्थ है परमात्मा के निकट आना। गोपियों ने परमात्मा के निकट आने के लिये कई जन्मों तक उपासना की है। श्रीकृष्ण की लीला का वर्णन करते हुए चीर हरण की लीला के बारे में बताया कि प्रभु को प्राप्त करने के लिये माया रूप के पर्दे को अपने उपर से हटाना होगा। कथा में कंस वध के वर्णन के साथ गोपियों की वास्तविक भक्ति का दर्शन करा कर उद्धव का अहंकार नष्ट किया। रूकमणि के साथ श्रीकृष्ण के विवाह के प्रसंग का वर्णन कर विवाह संस्कार का महत्व बताया। रूकमणि और श्रीकृष्ण की सुंदर झांकी ने सभी श्रोताओं का मन मोह लिया।
श्रीमद भागवत की पूजा दिलीप अग्रवाल, गणेश पटेल, गुरप्रित ईशर, हेमंत बिसोरे, मनीषा बापना ने की। आरती में भाजपा नेता प्रेम मिश्रा उज्जैन, ओम पहलवान, भाजपा पूर्व जिलाध्यक्ष बहादुर पटेल, दुर्गेश अग्रवाल, यशवंत तिवारी, सुरेन्द्रसिंह गौड़, जुगनु गोस्वामी, नवीन सोलंकी, तूफानसिंह पंवार, संतोष जायसवाल आदि विशेष रूप से उपस्थित थे। आज सुदामा प्रसंग के साथ कथा का विश्राम होगा।
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