दरिद्र होना अपराध नहीं, दरिद्रता में भगवान को भूल जाना अपराध- रक्षा सरस्वती
देवास। अमीरी और गरीबी हमारे पूर्वजन्म का फल है। भगवान अमीरों से खुश रहते हैं ऐसा नहीं, जो अमीर होते हुए भी भगवान की सेवा करते है भला वे दुखी कैसे रहेगा दुख और कष्ट उन्हें ही प्राप्त होगा जिसे इस जन्म में अमीर होने का सौभाग्य परमात्मा ने दिया है किंतु वो परमात्मा को भूल चुके हैं। सुदामा गरीब थे मगर श्रीकृष्ण की भक्ति को भूले नहीं यही कारण था कि उन्हें श्रीकृष्ण के दर्शन हुए और उन्हें और परिवार को सुख भोगने का अवसर भगवान ने दिया। इस संसार में दरिद्र होना अपराध नहीं बल्कि दरिद्रता में भगवान को भूल जाना अपराध है। यह विचार कामिका महादेव मंदिर समिति द्वारा जवाहर नगर में हो रही श्रीमद भागवत कथा के विश्राम अवसर पर भागवत रत्न रक्षा सरस्वती ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहे।
भागवत मर्मज्ञ सुगणा बाई सा ने कथा के मध्य में आकर अपने प्रवचन में कहा कि भागवत कथा सुनने वाले को यह सौभाग्य इस जन्म के पुुण्य से नहीं बल्कि कई जन्मों के पुण्य से प्राप्त होता है। आज का युवा भटक चुका है उसमेें युवाओं की गलती नहीं है गलती है उन माता पिता की जिन्होंने उन्हें श्रेष्ठ संस्कारों से पोषित नहीं किया। भागवत कथा का आध्यात्मिक चित्रण परिवार में दिव्य संस्कार को प्राप्त करवाता है। हम जहां प्रभु भक्ति करते हैं वहीं राष्ट्र धर्म का पालन करें। परमात्मा का सच्चा भक्त वो है जो राष्ट्र का भक्त है। कथा आयोजकों ने भागवताचार्य रक्षा सरस्वती और सुगणा बाईसा का स्वागत कर सम्मान दिलीप अग्रवाल, गणेश पटेल, मनीषा बापना, हेमंत बिसोरे, गुरप्रित ईशर, संजय चौहान आदि ने शाल श्रीफल, सम्मान पत्र एवं मोमेंटो भेंट कर किया । आरती में विजय पंडित, जितेन्द्रसिंह मोंटू, नरेन्द्र यादव लल्ला, ज्ञानसिंह दरबार, धर्मेन्द्रसिंह बैस, रामेश्वर दायमा, एम डी गुप्ता, अर्जुन चौधरी पार्षद, मुकेश पटवर्धन, दिलीप प्रजापति, सुधीर शर्मा सहित बडी संख्या में गणमान्य उपस्थित थे। बृज की फूलों की होली के साथ कथा में श्रोता झूम कर नाचे। कथा का संचालन चेतन उपाध्याय ने किया तथा आभार गणेश पटेल ने माना।
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