अहंकारी को पूजने से उसका अहंकार बढ़ता है- रक्षा ररस्वती
देवास। जो प्रभु से प्रेम नहीं करता वो कितना भी प्रिय क्यों न हो उसे त्याग देना चाहिये, दुष्ट प्रकृति उसी की होती है जो ईश्वर से प्रेम नहीं करता। ईश्वर से प्रेम नहीं करने वाला कभी इंसान नहीं बन सकता। प्रेम और करूणा मनुष्य के दो मानवीय आधार हैं। अहंकारी पूजा योग्य नहीं होता, अहंकारी को जितना पूजोगे उससे उसका अहंकार और अधिक बढ़ेगा वो अपने आप को ईश्वर तुल्य मानने लगेगा। इसलिए द्वापर में श्री कृष्ण ने इंद की पूजा बंद करवाकर गिरिराज पूजन करवाई, अहंकारी की पूजा से किसी पत्थर की पूजा करना । यह आध्यात्मिक जवाहर नगर में हो रही श्रीमद भागवत कथा में भागवत रत्न रक्षा सरस्वती ने श्री$कृ ष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहे। आपने गोवर्धन पूजा के महत्व का सुंदर चित्रण किया। पूतना वध के प्रसंग में बताया कि पूूतना का अर्थ है अविद्या, अविद्या बुराई को अपना लेती है उसका बाहरी स्वरूप सौंदर्यमय होता है किंतु मन मलीन होकर कपट, द्वेष और ईर्षा से भरा रहता है। विष देने आई पूतना को भी भगवान ने मां का रूप माना और उसका उद्धार किया। भगवान के द्वारा राक्षस प्रवृत्ति ने भी स्वर्ग में स्थान पाया। भगवान की सुंदर लीला के चित्रण की झांकी में माखन चोरी, दही मटकी फोडने के दृश्य ने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। गोवर्धन पूजन में 56 भोग का आयोजन प्रतीक सोलंकी द्वारा किया गया। कथा में नवनिर्वाचित सांसद महेन्द्र सोलंकी, मण्डल अध्यक्ष ओम जोशी, मिलिंद सोलंकी, रायसिंह सेंधव ने व्यास पीठ से आशीर्वाद लिया। भागवत पूजन दिलीप अग्रवाल, राजेश पटेल, मनीषा बापना, गुरप्रित र्ईशर, हेमंत बिसोरे ने की। आरती में भाजपा नेता मनीष सोलंकी, उज्जैन की पार्षद राज श्री जोशी, दिनेश विजयवर्गीय, मनीष डांगी विशेष रूप से उपस्थित थे। कथा के मध्य में कराटे के इटरनेशनल विजेता कृष्णा मोरे को 10 वीं में श्रेष्ठ अंक प्राप्त करने पर तथा उत्कृष्ट विद्यालय केे छात्र चेतन सुभाष पोरफोडे द्वारा 97 प्रतिशत अंक प्राप्त करने पर, कृतिका पंवार को 88 प्रतिशत अंक प्राप्त करने पर इनका सम्मान किया गया।
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