योग माया की शक्ति से श्री कृष्ण लीला व्यापक हुई— वंदना श्री जी
देवास। भगवान की लीला को ही माया कहते हैं। संसार में हर प्रश्न का उत्तर नहीं है मगर परमात्मा कभी निरूत्तर नहीं होता वो स्वयं एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर मानव नहीं खोज पाया। जीवन की हर कथा में शक्ति की कृपा है। बिना शक्ति के कोई कथा मूर्तरूप नहीं ले सकती है। सृष्टि में शक्ति व्याप्त और गौण है। व्यक्ति उसका इस्तमाल किस तरह करे यह उस पर निर्भर है। शक्ति दो प्रकार के रूप में सक्रिय है। एक धनावेश और एक ऋणावेश जो धनावेश शक्ति का प्रयोग करते सुर प्र्रजाती के पथ का गमन करते है और जो ऋण आवेश का उपयोग करते है वे असुर पथ की ओर गमन करते हैं। धरती पर भोग जब जब पाप का अति प्रकोप हुआ तब तब आदि शक्ति के देवत्व ने धरती को पाप से मुक्त किया है। भगवान श्री कृष्ण की लीला भी धरती से पाप को मुक्त कर सत् कर्मो केे साथ जीवन जीने की कला सिखाती है। किंतु योग माया की शक्ति के कारण ही भगवान श्रीकृष्ण की लीला व्यापक हुई है। यह आध्यात्मिक? विचार कैलादेवी मंदिर पर आयोजित श्रीमद देेवी भागवत कथा के छटवे दिन भागवताचार्य श्री वंंदना श्री जी ने व्यक्त करते हुुए आपने श्रीमद भागवत कथा में वर्णित प्रसंगों को सुनाते हुए बताया कि श्रीकृष्ण की लीला भी श्रीमद देवी भागवत का एक ऐसा महत्वपूर्ण प्रसंग है जिसमें शक्ति के बिना प्रभु की लीला पूर्ण नहीं होती है। कथा में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा के साथ कंस वध तक के समस्त प्रसंगों का सदृश्य चित्रण किया गया । बृज के कलाकारों के ?अभिनय ने श्रोताओं को बांधे रखा। व्यास पीठ की पूजा मन्नुलाल गर्ग केे परिजन द्वारा की गई। दिलीप अग्रवाल क्षिप्रा द्वारा वंदना श्री जी का चुनरी और साफा पहनाकर स्वागत किया गया। आरती में हाटपीपल्या विधानसभा विधायक मनोज चौधरी, वर्ल्ड रिकार्डर राजकुमार चंंदन, गोपाल पारमार्थिक ट्रस्ट के प्रेमचंद गोपाल इंदौर, प्रेस क्लब अध्यक्ष अनिल राजसिंह सिकरवार, जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष सत्येन्द्र जोशी सहित अशासकीय शिक्षण संघ अध्यक्ष घनश्याम कटारे, देवास दुग्ध संघ अध्यक्ष राजेश गोस्वामी, अफजल भाई, संतोष तेजवानी, डॉ. डी.पी.श्रीास्तव सहित बडी संख्या में सम्माननीयजन उपस्थित थे। संचालन चेतन उपाध्याय ने किया।
Comments
Post a Comment