किसकी चौकीदारी?

News Source : Media Reports


राहुल गांधी को कुछ न मानने वाली भाजपा ने इस बार अपना चुनावी नारा उनके उठाए मुद्दे पर ही तैयार किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद को कई बार देश का चौकीदार कहते रहे हैं। इस पर रफाएल सौदे में भ्रष्टाचार का जिक्र करते हए राहल गांधी ने नारा दिया कि चौकीदार चोर है। उनकी रैलियों में ये नारा बहत गूंजता है और अब तो हालत ये है कि राहल गांधी केवल चौकीदार बोलें तो जनता की ओर से जवाब आता है-चोर है। इस नारे और उस पर जनता की प्रतिक्रिया से भाजपा ऐसे परेशान हई कि मोदी है तो मुमकिन है, जैसे नारे को छोडकर मैं भी चौकीदार पर उतर आई। प्रधानमंत्री ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर नाम के आगे चौकीदार जोडा, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत कई मंत्रियों और नेताओं ने उनका अनुसरण किया। कुछ मंत्रियों ने चौकीदार नहीं लिखा, तो सवाल उठने लगे कि क्या भाजपा की भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में ये साथ नहीं हैं? एम.जे.अकबर और बी एस येदियुरप्पा ने चौकीदार विशेषण साथ में जोड़ा, उनका मजाक भी बना। इस तरह सरकार चुनने जैसे गंभीर काम में एक बार फिर सस्ती जुमलेबाजी ने अधिक जगह घेर ली और मुद्दों के लिए कम जगह छोड़ी। वैसे प्रधानमंत्री की इस तथाकथित चौकीदारी पर नजीब अहमद की मां ने एक चुभता हुआ सवाल किया है। नजीब की मां फ़ातिमा नफीस ने प्रधानमंत्री के ट्वीट पर सवाल किया, %अगर आप चौकीदार हैं तो बताइए मेरा बेटा नजीब कहा हैं? एबीवीपी के गुंडे क्यों नहीं गिरफ़्तार किए गए? क्यों तीन बड़ी एजेंसियां मेरे बेटे को खोजने में असफल रहीं?% आपको बता दें कि एबीवीपी के कछ छात्रों से विवाद के बाद नजीब जेएनय के माही माडवी छात्रावास से 15 अक्टूबर 2016 को लापता हआ और आज तक उसका कछ पता नहीं चला है। नजीब को खोजने में नाकामी के बाद आठ अक्टूबर 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस गमशदगी के मामले में सीबीआई को क्लोजर रिपोर्ट सौंपने की अनमति दे दी। नजीब की मा को प्रधानमंत्री की ओर से तो कोई जवाब नहीं मिला, अलबत्ता सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथी ट्रोलसेना ने अपना काम शुरु कर दिया। एक फोटो वायरल हुई है, जिसमें कछ हथियारबंद लडाके दिख रहे हैं। इस फोटो के साथ लिखा जा रहा है कि नजीब अहमद जेएनय से निकलकर आईएस में शामिल हो गया है। हालांकि यह फोटो पूरी तरह झूठ है। ये फोटो 2015 की है और इसमें इराकी सिक्योरिटी फोर्स की मदद करने वाले शिया लडाके दिख रहे हैं, जिन्होंने आईएस के नियंत्रण वाले तिकरित शहर को जीता है। जाहिर है, सोशल मीडिया पर यह झूठ नजीब अहमद को बदनाम करने के लिए फैलाया जा रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री से यह सवाल भी होना चाहिए कि आपके शासन में क्या सच की पहरेदारी से पूरी तरह मुंह मोड़ लिया गया है, ताकि झूठ को पैर पसारने का मौका मिले? नरेन्द्र मोदी की असफल और नकली _ चौकीदारी के उदाहरण नीरव मोदी, विजय माल्या के _भागने से लेकर रफाएल सौदे के पेपर रक्षा मंत्रालय • से चोरी होने तक ढेरों हैं। उनके शासन में न किसानों ' की आत्महत्याएं रूकी, न बेरोजगारों की संख्या कम हुई, न दलितों-अल्पसंख्यकों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होना खत्म हुआ। ये सारी बातें साबित करती हैं कि आमजन के हितों की चौकीदारी मोदी सरकार में ठीक से नहीं हुई। और खुद चौकीदार, सुरक्षाकर्मी भी कहां सुरक्षित हैं। नक्सलप्रभावित इलाकों से लेकर कश्मीर तक सरकार की ढुलमुल नीतियों का खामियाजा सुरक्षाबलों को भुगतना पड़ रहा है। युद्धकाल में जितने सैनिक शहीद नहा हात, उतन पाच साल में जम्मू-कश्मीर में हो गए। आमजनता का युद्ध क उन्माद म ढकलन का कोशिश भा पिछले दिनो खूब हुई, लेकिन इससे जनता की जरूरतें बदल नहीं जाती हैं। वह अब भी भोजन, आवास, शिक्षा, रोजगार के लिए संघर्ष कर रही है, जो कई बार जानलेवा भी हो जाता है। सोमवार को ओडिशा में कालाहांडी के लांजीगढ़ में वेदांता एल्युमीनियम रिफाइनरी के परिसर में ओडिशा औद्योगिक सुरक्षा बल (ओआईएसएफ) के कर्मचारियों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई भिड़त हुई, जिसमें 20 लोग जख्मी हुए और एक सुरक्षाकर्मी की मौत हो गई। दरअसल आसपास के गांवों के लोग कंपनी द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला कराने और रिफाइनरी में स्थानीय युवकों को नौकरी देने की भी मांग कर रहे थे।


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