जिले के 1.28 लाख किसानों का होना था कर्ज माफ, हकीकत 3.50% ही हुए लाभांवित
खंडवा। विधानसभा चुनाव में किसान की कर्जमाफी सबसे बड़ा मुद्दा थी, वह भी सरकार बनने के 10 दिन के अंदर। अब लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई है लेकिन जिले में महज 3.50 प्रतिशत ही किसानों का कर्जा माफ हुआ है। इसके बावजूद भी लोस चुनाव में यह मुद्दा सबसे बड़ा है, क्योंकि एक बड़ा वर्ग यानी किसान परिवार सीधे इससे जुड़े हुए हैंदरअसल, कर्जमाफी योजना में जिले के 1.28 लाख किसानों का 530 करोड़ रुपए कर्ज माफ होना था। सरकार का वचन था कि किसानों का 2 लाख रुपए तक का कर्ज माफ करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इनमें से केवल 4590 किसानों को ही योजना का लाभ मिला और उनके खातों में 34 करोड़ रुपए ही पहुंचाए गए। 1 लाख 23 हजार 410 किसान कर्जमाफी के चक्कर में बैंक- बैंक भटक रहे हैं। अफसरों का कहना है किसानों के ऋण खातों में 31 मार्च 2018 पर जितना कर्ज बकाया था उतना पूरा माफ किया गया। बचे किसानों का कब तक माफ होगा इसका जवाब फिलहाल उनके पास नहीं है। कृषि विभाग व जिला सहकारी बैंक ने पहले चरण में 45 हजार 871 किसानों के नाम भेजे थे जिनमें से 4590 किसानों का ही चयन हुआ। आचार संहिता से पहले मुख्यमंत्री की ओर से किसानों को चुनाव बाद योजना का लाभ देने का मैसेज भेजा गया। किसानों को चिंता है कि ऋण माफ होगा या नहीं। नियम में उलझे किसान, पहले ही भर दिया कर्जा - जब किसानों से ऋण माफी के आवेदन बुलाए गए तो उसमें कोई शर्त भी नहीं थी लेकिन अब किसानों को बताया जा रहा है कि 1 अप्रैल 2007 से 31 मार्च 2018 तक जिन किसानों ने कर्ज लिया था और 31 मार्च पर उनके खातों में जो बकाया है वही राशि माफ की जा रही है। भाकिसं के सचिव सुभाष पटेल ने बताया कि रबी के बाद खरीफ का कर्ज लेने के लिए किसान 31 मार्च से पहले अपने ऋण खातों को पलट देते हैं याने जब वह बकाया राशि भर देता है तभी उसे नया कर्ज बैंक देता है। बैंक के अफसरों ने भी किसानों को उलझन में रखा और कहा था कि भरने व नहीं भरने वालों दोनों को योजना का लाभ मिलेगा। जिन किसानों ने कर्ज भर दिया अब वे योजना से वंचित हो गए। इसलिए आवेदन निरस्त - जिले में कर्जमाफी के लिए आवेदन करने वाले किसानों में 562 के आवेदन कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने निरस्त कर दिए। इनमें ऐसे लोग जो किसान तो हैं लेकिन नेता, अफसर, कर्मचारी या जो टैक्स भर रहे हैं इन्होंने ने भी कर्जमाफी के लिए आवेदन किए थे। जांच में सामने आया कि ये लोग कर्जमाफी के लायक नहीं है, जिन्हें निरस्त किया गया। जबकि 151 प्रकरण ऐसे हैं जो कलेक्टर के पास लंबित हैं।
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