देवास शाजापुर चुनावों में किस करवट बैठेगा ऊंट
अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए घमासान शुरू हो चुका है। एक एक सीट पर सोच विचार कर दमदार उम्मीदवारों के सहारे दूसरी बार फिर से केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनाने की कवायद के चलते एक और जहाँ भाजपा, उम्मीदवारों के चयन में पूरी सावधानी बरत रही है वहीं कांग्रेस भी पिछले विधानसभा चुनावों में जीत के उत्साह को लेकर केंद्र में काबिज होने की तेयारी में लग गई है। देवास शाजापुर लोकसभा सीट मालवांचल में विशेष महत्व की मानी जाती है। यहाँ के सांसद भाजपा के मनोहर ऊंटवाल ने विधानसभा चुनावों में त्यागपत्र देकर आगर से विधानसभा चुनाव लड़ा और विजयी रहे। इसके पूर्व यहाँ से कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा सांसद रहे है जो अब सोनकच्छ से विधायक बन कर प्रदेश में केबिनेट मंत्री है। इस बार ये सीट दोनों ही दलों के निशाने पर है। भाजपा एक बार फिर A A यहाँ अपना परचम फहराना चाहती है तो कांग्रेस किसी भी कीमत पर वापस ये सीट जीना चाहती हैदेवास शाजापर की इस आरक्षित सीट पाक ओर जहां भाजपा की और सेप सांसद थावरचंद गहलोत. अजा नेता सरज करो पर्व विधायक राजेंट वर्मा मरेन्ट वर्मा और कमल अहिरवार के नाम सामने आने लगे है वहीं कांग्रेस की और से मंत्री सज्जनसिंह वर्मा के पत्र पवन वर्मा,भतीजे अर्जन वर्मा,रतनलाल मालवीय ओर ओम मालवीय के नाम सामने आये है। दोनों ही दलों में टिकिट के लिए रेस शुरू हो चुकी है, देखना रोचक होगा की टिकिट पाने की दौड़ में कौन आगे निकलता है और किसके बीच मुकाबला होगा और किसके सिर पर सांसद का ताज होगा । ये भी देखना दिलचस्प होगा कि मनोहर ऊंटवाल के बाद अब इस बार चुनावी नतीजों में ऊंट किस करवट बैठता है। वैसे इस बार क्षेत्र में विधानसभावार गणित देंखें तो देवास की तीन में से दो पर कांग्रेस के विधायक काबिज है और शाजापुर क्षेत्र में भी छ में से तीन पर कांग्रेस के ही विधायक है साथ ही सोनकच्छ के विधायक सज्जनसिंह वर्मा न सिर्फ प्रदेश के केबिनेट मंत्री है वरन मुख्यमंत्री के भी विश्वसनीय सिपाहासालार माने जाते है ऐसे में देवास शाजापुर सीट जीतना कांग्रेस के लिए जहाँ नाक का सवाल है वहीं भाजपा के लिए भी अपनी सीट को बचाए रखने की बड़ी चुनौती है। अगर देवास से हटकर प्रदेश और देश की राजनीति की बात की जाये तो आमतौर पर लोग एक बार फिर केंद्र में भाजपा को काबिज करना चाहते है और न सिर्फ भाजपा को वे सिर्फ और सिर्फ नरेन्द्र मोदी को ही प्रधानमंत्री के रूप में एक अवसर और देना चाहते है। हालाँकि बदलाव के पक्षधर मतदाताओं के कारण विपक्ष के मतों में और सीटों में बढोत्तरी संभव मगर अधिसंख्य मतदाता स्थिर सरकार चाहते है और ऐसा प्रधानमंत्री चाहते है जो देश में विकास के साथ विदेशों में भारत का परचम मजबती से लहरा सके किसका परिणाम सभी बीते समय में देख चके है। आज कांग्रेस से लेकर अन्य दलों के बीच कोई भी ऐसा दसरा दल नही है जो लोगो को राजनैतिक दलदल से बचा सके इसीलिये लोग चाहते है कि विकास के जिस रास्ते पर देश चलने लगा है कम से कम अगले पांच साल तो रफ्तार यही रहना चाहिए। बात भाजपा,कांग्रेस या अन्य दलों से हटकर की जाये तो भी अधिसंख्य लोग स्थित और मजबूत सरकार चाहते है जिसके लिए लोग इस बार के चुनावों में किसी दल के लिए नही बल्कि व्यक्ति विशेष के नाम वोट करने का मन बनाते नजर आ रहे है।
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