छटनी के नाम पर कटवा डाले हरे भरे पेड़बाले बाले ही बेच डाली लाखों की लकड़ी
मामला उजागर होने पर अधिकारी तलाश रहे बचने की गली
भारत सागर, देवास
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बड़ा कारनामा कर डाला। तारानी कॉलोनी स्थित विभाग के कार्यालय प्रांगण में खड़े दर्जनों बड़े-बड़े दरख्त की शाखाओं की छटनी के नाम पर अधिकारियों ने जड़ से ही कई पेड़ कटवा डाले। इतना ही नहीं पेड़ की बड़ी लकड़ियां मिनी ट्रक में भरकर बाले बाले बाहर भिजवा दी गई। सूत्र कहते हैं लाखों की लकड़ी परबारे ही बेंच दी गईंअब अधिकारी मामले से अपने आप को अलग करने की जुगाड़ में लगे हैं। लकड़ी कातकर जाती है शाहर के विभिन्न आरामशीन पर सूत्रों की माने तो शहर में लकड़ी उद्योग और लकड़ी माफिया अत्यधिक सक्रिय हैं। जिन्हें जहाँ भी पटिये और उपयोग लायक लकड़ी भाजपा के विजय दिखती है वहाँ यह माफिया अधिकारियों से साठगांठ कर अपने धंधे में लग जाते हैं। आपको बता दे देवास के ताराणी कॉलोनी स्थित जल संसाधन विभाग के कार्यालय परिसर में दर्जनों बड़े- बड़े पेड़ खड़े थे। यह हरे भरे पेड़ों को काटने के लिए ना तो प्रशासन से आवश्यक अनुमति ली गई, और ना ही कोई टेंडर प्रक्रिया की गई। इन हरे भरे पेड़ों की शाखाओं की छटनी के नाम पर बड़े-बड़े पेड़ जड़ से ही काट दिए गए। पेड़ों की मशीनों से कटाई हुई मिनी ट्रकों में भरकर रवाना किए गए, अब जल संसाधन विजय संकल्प अभियान विभाग के कार्यपालन यंत्री मुकेश चतुर्वेदी कहते हैं कि पेड़ों की शाखाओं की छटाई के निर्देश दिए गए थे। अनुविभागीय अधिकारी जल संसाधन नागोरी को पेड़ों की शाखाओं की छटाई का कहा गया था। जड़ से पेड़ कैसे कटे? पूछने पर साहब कहते हैं कि शायद गलती से कट गए होंगे। अब मामले की जांच करा कर कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं। गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व औद्योगिक क्षेत्र में एक कंपनी के क्षेत्र में लकड़ी माफियाओं पर ह्यसद्व जीवनसिंह रजक के निर्देश पर नायब तहसीलदार प्रवीण पाटीदार ने मौके पर पहंचकर कार्रवाई की थी तब वहाँ पर लकड़ी काट रहे लोग मौके से फरार हो गए थे। जहा किसी विकास नामक व्यक्ति के ठेका होने की बात सामने आई थी । देवास पिछले वर्ष से ही जलअभावग्रस्त घोषित है। ऐसे में पेड़ काटने और कटने देने से पर्यावरण को नुकसान तो है ही साथ ही जिले में यदि यह सिलसिला चलता रहा हो तो वर्षाकाल तक शहर और आसपास के हजारों पेड़ की बलि चढ़ जाएगी। हैरानी की बात तो यह है कि तारानी कॉलोनी जैसे रहवासी क्षेत्र में तहत सोनकच्छ में विभाग का कार्यालय होने के बाद भी वहां से मिनी ट्रकों में भरकर लकड़ियां बाहर चली गई और साहब को इसकी जानकारी तक नहीं यह बात समझ से परे है। हमारी टीम जब मौके पर पहुंची और कार्यपालन यंत्री मुकेश चतुर्वेदी से संपर्क किया गया तो वह दफ्तर आए और जड़ से कटे पेड़ों का खुद मुआयना किया। और माना कि जड़ों से पेड़ों की कटाई गलत है लेकिन यह कैसे हुई? क्यों हुई? किसके निर्देश पर हुई? और कटी हुई लकड़ियां कहां गई? इस बात का साहब के पास कोई जवाब नहीं है।
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