स्थिर सरकार के लिए नाराज कार्यकर्ता भी हुए सक्रिय
कार्यकर्ता पिछले दो माह पहले हुए तीन राज्यों के चुनावों में भाजपा के हाथों से सत्ता जाने के बाद एक ओर जहाँ भाजपा में सन्नाटा छाया हुआ है और समीक्षा बैठकें जारी है वहीं कांग्रेस उत्साह से लबरेज अगले लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार के लिए चुनौती देने की तेयारी में है। भाजपा की इन तीन प्रदेशों में हुई हार का एक बड़ा कारण अति आत्मविश्वास तो था ही,सत्ता और संगठन में बैठे नेताओं द्वारा जमीनी और प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भी एक बडा कारण रहा है । अब जबकि तीन प्रदेशों में जीत को सामने रखकर काग्रेस अन्य दलों के सहयोग से केंद्र में काबिज होने का सपना देखने लगी है वहीं भाजपा के प्रतिबद्ध कार्यकर्ता सत्ता और संगठन में अपनी उपेक्षा के बावजट के में जिससे मोदी को सत्तानशीं देखने के लिए अपने अपने _स्तर पर सक्रिय होकर काम कर रहे है। अगर देवास की बात करें तो र पिकलेतीनों चालों में पांचों विधानसभा पर कब्जा बनाये रखने वाली भाजपा को इस बार दो सीटों का नुक्सान हुआ है और इन दोनों सीटों पर तात्कालीन विधायक राजेन्द्र वर्मा (सोनकच्छ) तथा मंत्री दीपक जोशी(हाटपिपलिया) के खिलाफ कार्यकर्ताओं में जबरजस्त नाराजी थी । देवास में भी विगत तीन दशकों से भाजपा की जीत के बावजूद इस बार जीत तो गायत्री राजे की हुई है मगर उनकी लीड कम होने के साथ साथ समय समय पर कार्यकर्ताओं की नाराजी भी उजागर होती रही देवास में भाजपा की जीत के बावजूद भाजपा के ऐसे नाराज कार्यकर्ताओं की संख्या कम नही है,जिन्होंने सत्ता होने के बावजूद उपेक्षा का दर्द सहा है। बरसों से संगठन के लिए काम करने वाले और जमीनी आधार पर बड़े जनमानस से जुड़े भाजपा के नेता ये कहने में कोई संकोच नही करते कि वर्तमान विधायक अपने आसपास कुछ विशेष कार्यकर्ताओं के मोहजाल से बाहर आकर आम जनता से जीत के बाद भी नही जड पा रही है और चनावी वायदों को लेकर जो सक्रिय पहल होनी चाहिए वो भी नजर नही आ रही है। शहर भाजपा के ऐसे प्रतिबद्ध कार्यकर्ता मानते है की हमने बरसों से संगठन को दी है और इन तीनों प्रदेशों में सत्ता हाथ से जाने में लोगों के साथ कार्यों की रोया : कारण रहा है। शहर के भाजपा के जुझारू नेता शरद पाचुनकर कहते है कि प्रदेशों में भले कांग्रेस काबिज हो गई हो मगर केंट में मोदी सरकार का फिर से आना जरूरी है क्योकिं जीत के उत्साह में केंद्र में प्रधानमंत्री बनने की चाह में राहुल गांधी बिखरे कुनबे को जोड़ने में कोई कसर नही छोड़ेंगे और एक बार फिर खिचडी पकाते विपक्ष के कारण केंद्र कमजोर होगा इसीलिए भाजपा से नाराज कार्यकर्ताओं ने भी केंद्र में फिर से मोदी को देखने के लिए अपने अपने स्तर पर कार्ययोजनाएं बनानी और उनपर अमल करना शुरू कर दिया है।
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