सहनशक्ति बढ़ाकर ही कम किया जा सकता है तनाव


सहनशक्ति बढ़ाकर ही कम किया जा सकता है तनाव


नए वर्ष में लोग नए नए संकल्प लेते है । अपने जीवन में बेहतर बदलाव के लिए कोई रिश्तों की डोर को मजबूत करना चाहता है तो कोई टूटे रिश्तों को जोड़ना कोई शराब सिगरेट छोड़ना चाहता है तो कोई अपने स्वास्थ्य को लेकर नियमित व्यायाम का संकल्प लेता है । कोई गुस्सा छोड़ना चाहता है तो कोई तनाव कम चाहता है । अगर कहा जाये कि हर मर्ज की एक ही दवा है कि आप सकारात्मक रहकर अपनी सहनशक्ति को बढाये तो कुछ भी गलत न होगा। बात दिनों दिन बिगड़ते रिश्तों की जाये तो आज माँ बाप भाई बहन और पति पत्नी जैसे नजदीकी रिश्तों से लेकर यारी दोस्ती तक सबमे हर कोई खटास महसूस कर रहा है और उसका कारण भी बहुत साफ़ है। आज घटती विनम्रता और बढ़ते अहंकार के बीच लोगों की सहनशक्ति खत्म होती जा रही है। छोटी से छोटी बात सहनशक्ति के अभाव में रिश्तों में बड़ी खाई पैदा कर रही है और सोशल मीडिया के ज्ञानी भी अपने उधार के शाब्दिक ज्ञान से कुछ भी बदल पाने में असमर्थता महसूस कर रहे है। सड़कों पर आये दिन होने वाली वाहन दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण सहनशक्ति का अभाव है । वो मुझसे आगे कैसे निकल गया, मै इसको साईड क्यां दूं? इसको बहुत जल्दी है क्या ? जैसे विचार वाहन चलाते समय बड़े तनाव का कारण बनते है । इसके अलावा घर से वाहन लेकर निकलते समय कहीं समय पर पहुंचने का दबाव, व्यवसाय और घर के दिमाग पर तैरते तनाव सहनशीलता के अभाव में दुर्घटना का कारण बनता है जिसे सिर्फ और सिर्फ सहनशक्ति बढाकर ही रोका या कम किया जा सकता है। बेहद छोटी छोटी बातों पर आत्महत्या जैसे कदम उठकर लोग इस अमूल्य जिन्दगी से हाथ धो बैठते है। खासकर छोटी उम्र के बच्चे बर्थडे नही मना पाने, या माता या माता पिता द्वारा माँगी गई चीजें नहीं दिला पाने या आज दिनों दिन बढ़ती कम्पीटीशन में पिछड़ने के कारण या फिर आर्थिक तंगहाली से निराश होकर जीवन समाप्त करने जैसे कदम उठा बैठते है । यहाँ भी सिर्फ और सिर्फ सहनशक्ति बढ़ाने की ही जरूरत है। किसी ने पूछा कि ये जीवन किस चीज से बना है तो ज्ञानी ने उत्तर दिया ये जीवन समय से बना है । जन्म लेता बच्चा समय के साथ बढ़ता है,पढता है और सीखते समझते अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक भी पहुंचता है । इस बीच समय के साथ बहुत कुछ सीखता है। हमें ये जीवन बार बार नही मिलने का । अपने समय को बेहतर बनाने कोई जादूगर नही आयेगा और ना ही कोई यार दोस्त,माँ बाप या पति पत्नी किसी के जीवन को बना या बिगाड़ सकते है। कोई भी चमत्कार यदि हो सकता है तो वो सिर्फ और सिर्फ सहनशक्ति बढ़ाने से ही हो सकता है। यदि ये बात समझकर और इस फार्मूले को अपना कर यदि हम अपने हर कदम को इस मुताबिक उठायें तो न सिर्फ अपने समय को खुशगवार बना सकते है बल्कि अपने परिवार, और समाज की खुशहाली में भी सार्थक योगदान दे सकते है ।


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