जिला अस्पताल के स्वाइन फ्लू वार्ड में ताला, डेढ़ माह में 3 लोग आए चपेट में, 1 की मौत
खरगोन। जिले में स्वाइन फ्लू की दस्तक फिर से शुरू हो गई है। डेढ़ माह में तीन लोगों में स्वाइन फ्लू के लक्षण मिले हैं। इसमें एक बुजुर्ग की मौत हो चुकी है। जबकि एक व्यक्ति इलाज से ठीक हो गया। ताजा मामला अब जिले के महेश्वर का सामने आया है। इसमें 30 वर्षीय महिला में स्वाइन फ्लू के लक्षण मिले हैं। वह पांच दिन से बीमार थी। परिजन उसे धामनोद अस्पताल ले गए थे। यहां से जिला अस्पताल रैफर किया गया। महिला अस्पताल पहुंचे तो कोई डॉक्टर नहीं मिला। परिजनों महिला को निजी अस्पताल ले गए। परिजनों ने बताया सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। शरीर में जकड़न थी। स्थानीय डॉक्टर ने स्वाइन फ्लू के लक्षण बताए। इसके बाद मंगलवार को धामनोद अस्पताल गए। यहां भी डॉक्टरों ने लक्षण माने। इसके बाद खरगोन में निजी डॉक्टर ने स्वाइन फ्लू के लक्षण बताए। शुरुआती इलाज किया है। जिला अस्पताल में स्वाइन फ्लू के बनाए वार्ड में ताला लगा रहता है। नोडल अधिकारी डॉ. सुनील वर्मा ने बताया इस साल दो लोगों में पॉजिटिव मिला है। इसमें एक लेवल-फोर बुजुर्ग की मौत हुई है। जबकि 10 से ज्यादा संदिग्ध मामले भी आए हैं। वह पॉजिटिव नहीं आए। नागझिरी के 60 वर्षीय बुजुर्ग को एक माह पहले इंदौर के निजी अस्पताल में भर्ती किया था। यहां बुजुर्ग की इलाज के दौरान मौत हो गई। इंदौर से रिपोर्ट भेजी गई। इसके बाद डॉक्टरों की टीम गांव पहुंची और परिजनों का इलाज किया। उन्हें कोई लक्षण नहीं मिले। दूसरा केस सनावद क्षेत्र का डेढ़ माह पहले हुआ था। यहां 35 वर्षीय युवक को लक्षण मिले थे। उसने इंदौर में इलाज कराया। वह स्वस्थ हो गया। विशेषज्ञ डॉ. एमएस बार्चे ने बताया स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है। यह ए टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है। यह वायरस एच। एन1 के नाम से जाना जाता है। मौसमी फ्लू में भी यह वायरस सक्रिय होता है। 2009 में जो स्वाइन फ्लू हुआ था, उसके मुकाबले इस बार का स्वाइन फ्लू कम पावरफुल है। हालांकि उसके वायरस ने इस बार स्ट्रेन बदल लिया है यानी पिछली बार के वायरस से इस बार का वायरस अलग है। एच1एन1 वायरस स्टील, प्लास्टिक में 24 से 48 घंटे, कपड़े और पेपर में 8 से 12 घंटे, टिश्यू पेपर में 15 मिनट और हाथों में 30 मिनट तक एक्टिव रहते हैं। इन्हें खत्म करने के लिए डिटर्जेंट, एल्कोहॉल, ब्लीच या साबुन का इस्तेमाल कर सकते हैं। किसी भी मरीज में बीमारी के लक्षण इन्फेक्शन के बाद 1 से 7 दिन में डेवलप हो सकते हैं। लक्षण दिखने के 24 घंटे पहले और 8 दिन बाद तक किसी और में वायरस के ट्रांसमिशन का खतरा रहता है। पीसीआर टेस्ट के माध्यम से ही यह पता चलता है कि किसी को स्वाइन फ्लू है। स्वाइन फ्लू होने के पहले 48 घंटों के भीतर इलाज शुरू हो जाना चाहिए। पांच दिन का इलाज होता है, जिसमें मरीज को टेमीफ्लू दी जाती है।
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