बने रहना होगा जिम्मेदार नागरिक
एक गीत बहुत प्रचलित है - देश हमे देता है सबकुछ हम भी तो कुछ देना सीखें । हम सब घर परिवार समाज और देश से जुड़े है और इन सबके प्रति जिम्मेदार भी है। भले हमारी प्राथमिकताओं में घर परिवार पहले है मगर समाज और देश के प्रति भी हमारी जिम्मेदारी कम नही है । एक नागरिक के रूप में हम अपने आसपास, और समाज में चल रही गतिविधियों को अनदेखा कर उनसे अनजान नही बने रह सकते । जिम्मेदारियों का निर्वहन और कानून का पालन भी हमारी जवाबदेही है । कई बार परिस्थितिवश नकारात्मक स्वभाव वालों की गतिविधियों को देखकर लोग निराशा से भर उठते है और होठों पर आता है - क्या हमने ही सारा ठेका ले रखा है ? मगर सतत सकारात्मक बने रहने की तरह हमे सतत जिम्मदार भा बन रहना होगा। बरसों पहले की एक घटना याद आती है । एक बार इंदौर में क्लाथ मार्किट में स्कूटर पार्क कर खरीदी करने गये और लौटकर देखा कि स्कटर पर ट्रेफिक पुलिस की एक पर्ची लगी है कि गलत पार्किंग करने पर तीस रूपये जुर्माना अन्नपूर्णा थाने पर जमा करवाईये । एक पत्रकार मित्र से सलाह ली तो उसने कहा जमा करना चाहिए । अन्नपूर्णा थाने पहुंचा तो वहाँ एक परिचित पुलिसकर्मी नजर आ गये । पूछा कैसे आना हुआ? बताया और उन्हें पर्ची बताई । उन्होंने तीस रूपये लिए,पर्ची घड़ीमुडी की और कहा कोई बात नही जाओ सब ठीक है। मै ठगा सा देखता रह गया । मन में सवाल आया कैसे बने जिम्मेदार नागरिक? ऐसे कितने ही प्रसंग आपकी हमारी जिंदगी में रोजाना आते है जो व्यवस्था के प्रति हमे निराशा से भर देते है । आप जल्दी होने के बाद भी ट्रेफिक सिग्नल पर खड़े है और लोग बेपरवाही से निकल रहे है। आप लम्बी लाईन में खड़े है मगर लोग है कि बीच में लग रहे है। सरकारी कार्यालयों में सीधे मुँह जवाब देने वाला कोई नही है । हर जगह मध्यस्थ और दलाल तो पैसे लेकर आपकी मदद के लिए तेयार मिलेंगे मगर जिम्मेदारों और जवाबदारों की संख्या वैसे ही कम हो रही है जैसे कि सकारात्मक सोच वालों की । सवाल उठता है कि ऐसे में क्या किया जाए? इस धुन्ध समय में जबकि किसी के पास किसी के लिए समय नही है, इस बात से बेखबर होकर कि कौन क्या कर रहा है क्या नही कर रहा,घर परिवार,समाज और देश के प्रति अपनी जवाबदारी के साथ चुप्पी की बजाय जब जहाँ जरूरत हो अपने हक के लिए बोलें । अच्छे बदलाव के लिए चुपचाप तरीके से काम कर रहे लोगो को देखते हुए पूरी सकारात्मकता के साथ हमे जिम्मेदार नागरिक बने रहना होगा । विकल्प विहीनता में बस यही एक विकल्प है।
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