मालवा निमाड़ मे गडबडा सकते है भाजपा के समीकरण, कांग्रेस को होता दिख रहा है 20-22 सीटो का फायदा
इंदौर। शिवराज अच्छे इंसान हैं, उनके मन में आम आदमी को लेकर दर्द है, वे प्रदेश के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं, पर इनकी सरकार, भ्रष्ट नौकरशाहों ने इन्हें घेर रखा है। मंत्रियों, विधायकों और भाजपा संगठन ने जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों का अहंकार सिर चढ़कर बोल रहा है। अब इनको घर बैठ जाना चाहिए। यदि हमने इनको घर नहीं बैठाया तो भुगतना हमें ही पड़ेगा। बुधवार को खरगोन से कसरावद होते हुए इंदौर आते समय जब मैने मेनगांव में मतदान के लिए कतार मे लगे राधेश्याम भाई से यह सवाल की प्रदेश में अगली सरकार किसकी बन रही है किया, तो उनसे जो जवाब मिला उसकी यह एक बानगी है। खरगोन में बैंक फाइनेंस के लिए सर्च रिपोर्ट तैयार करने वाले चंद्रकांत सोनी कहते हैं कि शिवराज ने काम तो बहुत किए हैं, उनके खिलाफ कोई एंटीइनकमबेंसी नहीं है, पर मैदानी हालत उनके खिलाफ है। मोदी फेक्टर भी इस बार नहीं दिखा। किसान सबसे ज्यादा नाराज है, बेरोजगारी से त्रस्त युवा सरकार के खिलाफ मुखर हैं और व्यापारी वर्ग भी इस बार सत्ता विरोधी सुर अपनाए हुए है। जनता भाजपा को सबक सिखाने का मानस बना चुकी है। वे कहते आज ग्रामीण क्षेत्र मे जिस तरह से मतदान हुआ है वह सरकार के खिलाफ किसानों के इसी आक्रोश का नतीजा है। सोनी का अगला सवाल मुझसे था कि आपने बडी संख्या मे जिस तरह नए मतदाताओं को कतार मे लगे देखा उसे क्या मानते हो? जवाब भी उन्होने ही दिया और कहा रोजगार न मिलने से त्रस्त युवा अपनी नाराजगी प्रकट करने के लिए कतार मे लगे था न की सरकार के प्रति समर्थन व्यक्त करने। फिर विकल्प क्या है, यह पूछे जाने पर धामनोद के युवा कारोबारी नीलेष पाटीदार कहते हैं कि यही तो समस्या हैकांग्रेस कोई चेहरा नहीं दे पाई, जिस तरह की खींचतान कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच चुनाव के दौर में रही उसने बदलाव के लिए तैयार बैठी जनता को बहुत कुछ सोचने के लिए विवश कर दियावे बोले जनता को कांग्रेस को सत्ता में लाना चाहती है, पर इसमें सबसे बड़ी बाधा कांग्रेस के नेता ही हैं। चूंकी हमें भाजपा को सत्ता से बाहर करना है इसलिए तो कांग्रेस को ही मौका देना होगा। हमारे यहां कोई तीसरा विकल्प तो है नहीं। इंदौर के इंद्रपुरी क्षेत्र में रहने वाले रिटायर्ड बैंककर्मी श्यामेंद्र चक्रवर्ती कहते हैं दरअसल मध्यप्रदेश में इस बार तुकोजीराव पवार आज भी दबंगई,और किस्से सुनाते परिणाम है कि दीवानों अवसान के बाद को विधायक उन्ही के प्रति लोग जुटे जो राजतन्त्र चाहते रहे होकर । भाजपा संगठन के इनमे शरद मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच नहीं, जनता और सरकार के बीच था। जिसमें मुझे तो जनता जीतती नजर आ रही है। मध्यप्रदेश की सत्ता का फैसला बुधवार को हो गया। पूरे देश की निगाहें इस चुनाव पर थी। चौथी बार सत्ता में वापस आने के लिए भाजपा ने कोई कसर बाकी नहीं रखी, वहीं कांग्रेस ने 15 साल बाद वापसी के लिए कमरतोड़ मेहनत की। मध्यप्रदेश में इन्हीं दोनों दलों के लिए चुनावी लड़ाई थी। बसपा, सपा के साथ ही सपाक्स और जयस के बागी पूरी ताकत लगाने के बाद भी चंद सीटों को छोड़ अन्य इलाकों में त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति नहीं बना पाए। 15 साल बाद यह पहला ऐसा चुनाव है, जिसमें कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी। फैसला बहुत कम अंतर से होना है। मतदान के प्रतिशत और जनता से जो फीडबैक मिल रहा है उसे यदि आकलन का पैमाना बनाया जाए तो मध्यप्रदेश मे भाजपा के लिए लगातार चौथी बार सत्ता की राह कुछ कठिन दिख रही है। मुख्यमंत्री के इलेक्शन कैम्पेन के कवरेज के लिए पिछले सप्ताह एक वरिष्ठ पत्रकार उनके साथ थे। शिवराज जी से उनका सवाल था कि मध्यप्रदेश में भाजपा को कितनी सीट मिल रही है। शिवराज बोले 125 तो तय मान लो। उनका दूसरा सवाल था कि आखिर प्रदेश के किस जिले में भाजपा की सीट बढ़ रही है। सवाल दोपहर में किया गया था और शाम को जब मुख्यमंत्री कैम्पेन समाप्त कर भोपाल में उतरे, तब तक अनुत्तरित थे। अलग-अलग माध्यमों, चाहे वह नौकरशाह हो चाहे राजनीतिक दलों पर जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग या फिर दिहाड़ी मजदूर से लेकर ग्राहकों के इंतजार में सूने पड़े शो-रूम मालिक, से जो जानकारी मिल रही है, उसके मुताबिक कांग्रेस चुनाव को कड़े मुकाबले में लाने के बाद बढ़त लेने की स्थिति मे तो आ गयी है। मालवा- निमाड़, ग्वालियर-चंबल, विध्य, महाकौशल, बुंदेलखंड और भोपाल क्षेत्र में वह 2013 की तुलना में अपनी सीटों में इजाफा कर रही है। मध्यप्रदेश विद्युत मंडल के सेवानिवृत्त कार्यपालन यंत्री आर.सी. त्रिवेदी कहते हैं कि 2013 में कांग्रेस को 58 सीटें मिली थी, प्रदेश में 51 जिले हैं यदि कांग्रेस इन जिलों में एक-एक और 10 जिलों में 2 सीटें भी पिछले चुनाव की तुलना में ज्यादा ले आए तो सत्ता में आने लायक आंकड़ा तो उसे मिल ही जाएगा। भाजपा के दिग्गज इससे उलट सोच रहे हैं। वे कहते हैं कि पिछली बार हम 165 सीटों पर जीते थे, बहुत नुकसान भी हुआ तो 116 यानि सरकार बनाने वाला आंकड़ा तो हम प्राप्त कर ही लेंगे। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि यदि शिवराज दिल कड़ा करके 20-25 विधायकों के टिकट और काट देते तो हम 140 सीटों पर हर हालत में चुनाव जीतते। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ से जब पूछा गया कि कितनी सीटें आपकी पार्टी को मिल रही है। तो उनका सीधा जवाब था आप आंकड़ों के फेर मुझे मत डालिए। आज जिस उत्साह से लोगो ने मतदान किया और जनता का जो रूझान सामने आ रहा है उससे यह तय है कि सरकार कांग्रेस की बन रही है। मालवा-निमाड़ हो या विंध्य प्रदेश या महाकौशल हमें हर जगह बढ़त मिल रही है। मध्यभारत यानि भोपाल और उसके आसपास का क्षेत्र भी हमारे लिए फायदेमंद साबित हो रहे हैं। कांग्रेस के स्टार कैम्पेनर ज्योतिरादित्य सिंधिया कहते हैं कि भाजपा अब सरकार में नहीं आ रही है। जनता खासकर गांव की जनता का मानस हमारे पक्ष दिखा और यही हमें सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाएगा। शहरी क्षेत्र मे भी हमे अच्छा समर्थन मिला है। सूत्रों के मुताबिक संघ और सरकार के मैदानी अमले ने भी मतदान के बाद जो फीडबैक दिया है वह संकेत यही दे रहा है कि मध्यप्रदेश में भाजपा की राह इस बार आसान नहीं है और भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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